...

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मां बिन कुछ नहीं
बस ख्याल उन्हीं का आता है
नजरे टिकाए वो दरवाजे पर
मेरी राह देखती होगी
जब हो जाता हूं दूर उनसे
बस मेरे बारे में सोचती होगी
जिसने अपनी जिंदगी मेरी
परवरिश में खो दी
बस अब ख्याल उन्हीं का आता है
यादों में बस अब उन्हीं का चेहरा
नजर आता है
बस ख्याल अब उन्हीं का आता है
सायद वो रोज मुझे डाटती होगी
बस उस गुस्से में मजा आता है
हा बस अब उन्हीं का ख्याल आता है ।
मुझे हुआ दर्द तो उनके आंसू छलक आते थे
मररहम लगाती जब वो दुलार से
ममता की छाव में सुला लेती थी
अब वो प्यार याद आता है
हा बस अब उन्हीं का ख्याल आता है
जा बस उन्हीं का ख्याल आता है ।
खुद भूखें रहकर वो दिन रात
मुझे खाना खिला जाती थी
वो भोली सूरत बड़ी अच्छी थी
मेरा बेटा बड़ी शरारत करता है
उनका ये कहना बड़ा याद आता है
हा बस उन्हीं का ख्याल आता है
बस उन्हीं का ख्याल आता है ।


© मारवाड़ी