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प्रोत्साहन
मेरी शादी को चार साल हुए थे और मेरा दो साल का बेटा था। मै एम .ए की थी। मेरे पति प़राइवेट कम्पनी मे सीनीयर पोस्ट पे थे। कम्पनी की तरफ से घर मिला था,और मेरे पति को कार खरीदने का बहुत मन था पर उस समय पैसे कम होने कि वजह से हम अगले साल ले लेन्गे कह कर टाल दिए।
उसी साल एक नियम आया कि बी .एड अगले साल से दो साल का हो जायेगा ।इस साल एक साल का है और मेरिट पे एडमिशन हो रहा है‌। मेरे पति बोले तुम कोशिश करो इस साल बी.एड कर लो नही तो दो साल का जब हो जायेगा तो दिक्कत होगी । मै तो बिल्कुल डर गयी थी‌। परीक्षा देने से बहुत डर लगता था। मै बोली बेटा छोटा है कौन सम्हालेगा और फिर आप को कार खरीदनी है ना आप उस पैसे से कार खरीद लीजिए। मै फेल हो जाउगी आप का पैसा बरबाद हो जाएगा ,और आप का बहूत नाम है, लोग क्या कहेंगे, नहीं मै नहीं करूंगी।
फिर इन्होने जो बात बोली दिल को छू गयी कहा कार तो हम कभी भी ले सकते है लेकिन ये समय जो तुम्हारा भविष्य सवारेगा दुबारा नही आएगा। जब मुझे लोगो की चिन्ता नही है तो तुम क्यो कर रही हो ,तुम देखना डिस्टिंगशन के साथ पास होगी।मेरा एडमिशन करवा दिया। मै सच मे हिन्दी मे डिस्टिंगशन के साथ प़थम डिविजन से पास हुई। पति के प़ोत्साहन की वजह से आज मै एम.ए+बी.एड हू।