आयना
हर रोज़ की तरह उठ तो गया था मैं वही सुबह की मीठी हवाओं के बीच अपने हाथ में चाय का गिलास पकड़े माँ की बातों में ग़ौर फ़रमा ही रहा था कि अचानक से पापा को आते देख चाय का गिलास छोड़ माँ के कामों में हाथ बटाने लग गया।
पापा को पता तो था मेरे नकारेपन का पर माँ सब सँभाल लेती।इसी क्रम में...
पापा को पता तो था मेरे नकारेपन का पर माँ सब सँभाल लेती।इसी क्रम में...