"अनजाना मित्र" (Friendship Day Special)
पहले तो आप सबको अगस्त के पहले रविवार की अनेकों शुभकामनाएं...
रविवार की शुभकामनाएं...???
ये इतने जो हज़ारों रविवार निकल गए, तब तू कहाँ था भाई... हैं... बोल बोल...
मैं यहीं था, आप सबके बीच... बस आजतक ये नहीं पता था की आज के दिन लोग 'मित्रता दिवस' यानी 'फ्रेंडशिप डे' मानते हैं...
अच्छा... बधाई जी, आपको भी बधाई... बच्चे दरअसल लाये थे कुछ पट्टी सा, कह रहे थे, पापा कल हम आपको ये बांधेंगे... मुझे लगा राखी वगेराह कुछ होगी... अच्छा तो साहब ये है...
मुझे भी बच्चों से ही पता चला, कल देर रात लौटा तो नीचे कार खड़ी करते वक़्त मैंने चौकीदार को आवाज़ दी, की सुबह जब जाये तो माली को बोल दे, की बालकनी के गमले भी ठीक कर दे... तभी बिटिया बाहर आई और उसने मेरे हाथ में ये बाँध दिया... देखिये... हा हा हा... बच्चे भी ना...
अर्रेह भाई साहब, अगर माली आ जाये तो मेरे यहाँ भी भेज दीजियेगा, कुछ काम हम भी करवा लेंगें...
अर्रेह ज़रूर साहब...
चलिये आज तोे बातों बातों में ये सुबह की सैर मानो जल्दी खत्म हो गयी... चलिए जी... ओ.के.
ओ.के. जी...
घर आया तो धर्मपत्नी बच्चों को उठा रही थी... मैं आया तो पेपर वाला देर से आने की वजह से डाँट खा के निकल रहा था और चाय का चम्मच जिसमें कुछ ज़ायका चाय का लगा सा था, वो उल्टा पड़ा मेज़ पर इंतज़ार के रहा था की कोई आकर उसे धो दे, उसे ये चिपचिपाहट पसंद नहीं है...
मैंने कहा 'सुनो'
'चाय बनी हुई है, गर्म...