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Chapter 13 नागराज और एक विलेन की वापसी

चलिए अपनी कहानी जारी रखते हैं।

मोहनलाल मंदिर से दूर एक पेड़ के पीछे खड़ा था और उनका इंतज़ार कर रहा था। जैसे ही मोहनलाल ने सड़क पर देखा, एक अजनबी मंदिर की ओर आ रहा था। जैसे ही अजनबी करीब आया, "तूफ़ान से निकलते हुए आदमी को देखकर मोहनलाल का दिल धड़क उठा। उस आदमी की विशाल काया और चमकदार चेहरे ने मोहनलाल को चौंका दिया - नागराज से एक अजीब समानता।🙂

तूफ़ान और भी तेज़ हो रहा था, लेकिन मोहनलाल का ध्यान रहस्यमय आदमी पर केंद्रित था।😕😟

'क्या यह नागराज की वापसी है?' मोहनलाल ने धीमे स्वर में कहा, उसकी आवाज़ हवा के शोर में लगभग खो गई थी। 'या यह भ्रम है?'☹️😶‍🌫😶

जैसे ही अजनबी मंदिर के पास आया, मंदिर के द्वार खुल गए जैसे कोई अदृश्य हाथ उन्हें आमंत्रित कर रहा हो। मोहनलाल की साँस रुक गई जब उसने नागराज जैसे व्यक्ति को मंदिर के अंदर जाते देखा।

मोहनलाल बाहर खड़ा था। नागराज जैसे व्यक्ति को देखकर मोहनलाल के मन में सवालों का तूफ़ान उठ गया। क्या यह वाकई नागराज है या यह मेरा भ्रम है? मुझे इसका पता लगाना होगा, क्योंकि नागराज ने पत्र में लिखा था कि अगले 18 सालों तक वह इंसान नहीं बन सकता, वह सिर्फ़ साँप के रूप में ही रहेगा। तो क्या उसने मुझसे झूठ बोला? क्या पत्र में लिखी बातें भी झूठ हैं?क्या पूरा पत्र झूठ है?😔

मोहनलाल ने अपने विचारों को शांत किया और निष्कर्ष निकाला कि यह उसका भ्रम ही होगा। उसका प्रिय मित्र नागराज उससे कभी झूठ नहीं बोल सकता। यह कोई और ही होगा जो नागराज जैसा दिखता हो। हो सकता है कि उसका तूफान की वजह से दृष्टि धुंधली हो गई थी। या फिर उम्र बढ़ने की वजह से उसकी आंखें...