...

2 views

एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त।।
प्रश्नवाचक ने प्रशणावली की प्रस्तुति व स्तुति करते हुए लेखिका को परमात्मिका के समक्ष रखकर उन्हें यह कार्य करने के लिए सुझाया व
इस कार्य को उसे सौप कर वहां से चला गया।।
(प्रश्नवाचक ने नायिका को सौंपा था)
जिसके तत् पश्चात् वह लेखिका (परमात्मिका ) स्वयं की ही आसीमता से अर्थात
स्त्रीत्व से अस्तित्व के लिए एक मात्र सभी प्रश्नों का तोड़ प्रश्न पूछती है, कि हे प्राण प्रिय इन सभी
प्रत्येक प्रश्नों का एक मात्र उत्तर बताइए हे प्रिय कृपाणि कुरूवनति भया:।।(परमात्मिका कर्मपोशित कर्मपोटली स्वागिंनी नपुंसकीय आहुतिका श्रापिका विध्वंसकीय प्रतिद्वंद्वी शून्यनिका हिनका गोखिका सौदामिनी आदि
लोक्तियो द्वारा कहकर संबोधित करते हुए लेखक के समक्ष नायिका की हर योनि व चूत की इच्छा व स्वार्थ से ग्रस्त हर लोक्ति ने कहा।।

इस पर वह लेखक उसके एकमात्र सभी व प्रत्येक प्रशनों का वह वर्णनहित माहाशक्ति स्वयं
के बारे में कुछ श्रुतिया कहता हुआ है।। उस अपनी योनि की आसीमता को वो आशवाशित करते हुए कहता है,।।

#अश्वाशन☝️