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धर्म और समाज
एक छोटा सा बच्चा जब जन्म लेता है,और वह बड़ा होने लगता है!तब जिस परिवार में व जिस समाज में उस बच्चे पालन-पोषण होता है! उसके अनुरुप ही वह बच्चा भी एक सामाजिक परिधि में आ जाता है!
हाँ, मैं आस्तिक हूँ
मगर इसका मतलब ये नहीं कि मैं धर्म की बुराईयों पर कुछ भी न बोलूँ!
मैं हिन्दुत्व पर सही परख कराने वाले डाॅ.विकास दिव्यकीर्ति /दृष्टि का समर्थन करता हूँ! क्योंकि मेरा भी यही प्रश्न है कि मैं और मेरे ईश्वर की इस जोड़ी गई चेन में ये तीसरा इंटरफेयर करने वाला कौन? राम ने शुद्र ऋषि शम्बूक को क्यों मारा? अगर मैं ये प्रश्न पुंछूं तो यह गलत है, क्योंकि ये हमारे धर्म में आरटीआई कानून नहीं चलता है!
धर्म के नाम पर दुकान हर साल 10 हजार से ज्यादा खुलती है! बागेश्वर धाम वाले बाबा से लेकर राम रहीम, रामपाल सबकी दुकानें चलाने वाले लोग खुब पैसे कमाया है। और गरीब गरीब ही रह गया है और वे लोग करोड़ो की सम्पत्ति के मालिक बन चुके है!
धर्म तो मान सकते हैं पर धर्म पर प्रश्न नही कर सकते!

और प्रश्न पूंछा तो एक तरफ तो धर्म को भड़काने का गुनाह हो जाता है तो दुसरी ओर आर एस एस, एबीवीपी, VHP, बजरंग दल, करणी सेना, हिन्दू सेना व सारे अखाड़े के बाबा हमारे सिर कलम करवाने की कह देते है!

क्या इंडिया है?
सच कहूं तो आज भी जातिवाद का जहर फैल रहा है!
अगर कोई जातिवाद नहीं है तो कोई हमें SC, ST, OBC में से बडे़ अखाड़े का बाबा बनकर दिखाये!
ऐसे अनेकों प्रमाण है जो यह बताते है कि हिन्दू धर्म को शुद्रो से नफरत है!

यहाँ तक कि विश्व रत्न डॉ. अंबेडकर तक को वे भीमटा,शुद्र, हरामखोर की गालियाँ देते है!
और यह मन में सोचते है कि आखिर ये शुद्र कहाँ से हो गया? जिसने भारत में संविधान बना कर दिया! अब यहाँ पर कुछ प्रश्न आप में उठ रहे होंगे कि संविधान केवल अंबेडकर ने थोड़ी बनाया, वो तो सभी सदस्यों के प्रयासों से बना था! हाँ, यह यह तो बिलकुल सही है किंतु अंबेडकर के बराबर उनमें इतना ज्ञान नहीं था कि वे ऐसा कुछ ठीक से कर पाये!
इसलिए अंबेडकर विश्व रत्न है, जिसके पास इतनी डिग्रियाँ थी कि नोट पर छपने वाले गांधी भी उनसे बहुत पीछे थे!

अत: भारत का मुख्य किरदार डाॅक्टर अंबेडकर है! जिसके ऊपर आज फिल्में बनना तो बहुत टेडी खीर हो गया है, क्योंकि जातिवाद के बीज अब विकसित हो रहे है!
© Jitendra_kumar_sarkar