...

12 views

चलो हंसी खरीदें
कभी हंसी खरीदी है-जी हां आप और हम रोज़ हंसी का बाज़ार ही तो टहलते हैं-ज़रा खुद ही सोचिये आखरी बार आपने क्या खरीदा था--अब ज़रा उस इश्तिहार के बारे में सोचिये-जिम हो या गाड़ी-वॉशिंग मशीन हो या टीवी -कोई भी इश्तिहार बस हँसते हुए परिवारो की तस्वीरों से भरा पड़ा है-दरसल हम सब चीज़ें इसलिये भी खरीदते है क्यूंकि कहीं ना कही हमें उस टीवी फ्रिज या जिम मेम्बर्शीप से ज्यादा उसके साथ बेची जा रही हंसी और हँसते हुए किरदारो मे खुद को देखने की इच्छा है--तो अब आप बताईये-कुछ बेव्कुफाना नही लगता हंसी खरीदना -जब अपने और हंसी तो पहले से ही हमारे पास है-बस ज़रूरत है तो ख्वहिशों से वक़्त चुराकर रिश्तों को देने की-
© mayank