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Story- पढ़ाई बंद ( Topic- स्त्री विमर्श)


कहानियों के सफर में आपका स्वागत है।
अक्सर देखा जाता है कि हमारे पास

सब कुछ होता है फिर भी हमारा मन

शांत नहीं होता और ना ही कहीं लगता

है अंदर ही अंदर कुछ चलता रहता है

कभी बोरियत महसूस होती है और

कभी-कभी समझ नहीं आता कि हम

उसे किस लिए हो। अक्सर हम यह भी

सोचते हैं कि हमारा परिवार जैसा भी है

खुशहाल है पर हम कहीं खुश नहीं होते

आखिर क्या होता है ऐसा तो जानिए

इस कहानी के द्वारा पढ़िए कहानी तृप्ति की।

तृप्ति एक नवयुवक लड़की थी। और

ज्यादातर खुश रहने वाली लड़की थी।

इसकी एजुकेशन बहुत ही अच्छे तरह से हुई थी।
लेकिन उसके गांव में, शिक्षा के बाद

नौकरी करने को इतना महत्व नहीं दिया जाता था जो की एक आम बात है

लेकिन तृप्ति को यह बात बिल्कुल नहीं पता थी। तृप्ति हर रोज सोचती कि

अगर वह शहर में रहती तो कितना अच्छा होता उसे सारे आजादी होती है

वह कुछ तो करती कुछ ना से सही। तृप्ति को गार्डिंग का बहुत फूलों से

बहुत प्यार था। तृप्ति वो भी कुछ ख़ास नहीं कर पाती थी। बहुत ही बड़े घराने

से थी। यानी कि उसका परिवार बहुत ही धनी था। लेकिन ऐसा नहीं था कि

तृप्ति को सारी सुविधा मिली थी। क्योंकि तृप्ति एक लड़की थी कहीं ना

कहीं उसको कंप्रोमाइज (समझौता)तो करना ही पड़ता है। एक गांव की फ्रेंड

जिसकी शादी कुछ महीना पहले हो गई थी। जिसका नाम सुकन्या था जिसका

नाम सुकन्या था। सुकन्या बताती है कि जब से वह ससुराल आई है, वह बहुत

दुखी है। जब तृप्ति ने पूछा ऐसा क्यों है तो सुकन्या रहती है यार यहां सब कुछ

अच्छा है पैसे हैं नौकर चाकर है। हस्बैंड भी मेरा ठीक-ठाक ही है लेकिन। मुझे

कोई वक्त नहीं देता है नहीं मेरी कोई सुनता है बस वही सुबह नाश्ता दे दो

दोपहर को लंच दे दो। और थोड़ी देर बच्चों को बाहर देख लो जब तक वह

खेलते रहे। बच्चों की शैतानियों से थोड़ा तो मन लग जाता है लेकिन। लास्ट में

मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता जब मैं बोलना चाहती हूं तो, शाम हो

गई है। रात का खाना बना दो। लेकिन तृप्ति कहती है , पर तेरा हस्बैंड भी तो

है तू उससे तो बात करती होगी, ऐसा तो नहीं होगा की वह कभी तुझ से बात

ही नहीं करता होगा बस आया खाया और सो गया। तृप्ति कहीं ना कहीं

समझ तो रही थी, कि सुकन्या का भी मेरे जैसा ही हाल है। लेकिन तृप्ति के

कहने पर सुकन्या थोड़ा गुस्सा होकर कहती है अरे यार तुझे तो लगता है बस

मैं यूं ही कह रही हूं । तुझे पता है वह कौन सी बातें करते हैं वह कहते हैं कि

घर पर सब ठीक था घर के बच्चे ठीक थे क्या सभी ने खाना खाया था घर में

खाना ठीक से बना था या नहीं तुमने कुछ गड़बड़ तो नहीं की न।

अगर तुमसे कोई गलती हो जाती है तो मैं तुम्हारा साथ नहीं दे पाऊंगा उसे तुम

खुद ही सुधारोगी तुम्हें इतना तो आना ही चाहिए खाना कैसे बनाना चाहिए

और कैसे सबको खिलाना चाहिए।
तृप्ति ने कहा तू थोड़ा शांत हो जा
तू ऐसा क्यों नहीं करती बुक्स वागेरा

क्यों नहीं पढ़ती। सुकन्या का जवाब आया याद मेरी पढ़ाई बंद अब।

तृप्ति का फेस झुका गया और आंख में आंसू की एक बूंद आ गई। क्योंकि

सुकन्या शादी से पहले टीचर बनना चाहती थी ।

तो ये था पार्ट - 1 अगर आपको कहानी पसंद आ रही हो।
तो मैं आगे लिखूंगी प्लीज फॉलो और शेयर करना ना भूले ।🙏🙏😊😊मेरे कीमती समय के लिए इतना कर दीजिए।
© Aarti kumari singh