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प्रेमी की याद में
कौन कहता है की प्रेम में सिर्फ पुरुष इंतजार करता है? और प्रेम में पागल होता है। ये कहानी है ऐसी लड़की की जिसने अपने प्रेमी के इंतजार में छह साल का लंबा वक्त गुजार दिया। ये वक्त ऐसा था की सदियों के जैसा था..वो फिर भी न आया..कितना जुलम प्यार का हुआ था।
लड़की मासूम सी थी, न जिंदगी का मालूम था न किसी की चाहत थी। अपने ही खयालों में खोई रहती थी। एक दिन एक ऐसे लड़के से मुलाकात हुई की जिससे फिर कभी मुलाकात न हुई। उसे अपना दिल दे बैठी।
वो जैसे कोई कवित्री हो, जैसे कोई कलाकार हो। लिखती तो अपने शहजाद के लिए। चित्र बनाती तो उसे याद करते हुए। वो हमेशा सोचती रहती की कब उसका शहजादा उससे मिलने आएगा।
वो दोनो कब साथ होंगे, हाथों में हाथ होंगे।
लम्हे रूक से जाएंगे, धड़कन थम सी जाएगी...
बारिश हल्की होगी, आंखे नम हो जाएंगी।
लड़की की जिंदगी का मकसद अब सिर्फ एक था। वो था शहजादे से मुलाकात।
प्यार में पागल सी हो गई थी । ना घर वालों की सुनती, ना दोस्तों की। शहजादे की मजबूरियां समझते समझते टूटने लगी थी।
मगर शहजादे ने तो अपना मन मना लिया था,,
जिसे था जिंदगी में लाना, उससे ही दूर जाने का फैसला। शादी करूंगा तो घर वालों की मर्जी से। बड़ों का दिल नहीं दिखाऊंगा।
लड़की इंतजार में, सबकुछ कुर्बान करने को त्यार।
करती है याद गुजरे जमाने को, मुहब्बत के फसाने को। हल्की बारिश को, नजरें मिलाने को।
प्यारी सी फिकर को, अल्फाजों को , बहक जाने को।

अब जिंदगी को यूं बयां करती है....
की जिसे चाहा,,,
जान से भी ज्यादा....
उसे दूर होता...
कैसे देख पाऊंगी...
तुझे किसी और का सोचने भर से...
टूट जाती हूं...
तेरी शादी देख कर...
क्या मर नहीं जाऊंगी...
तुझसे किया हर एक वादा निभाऊंगी...
मैं टूट जाऊंगी...
पर तुझे भूल न पाऊंगी...
तू खुश रहना जहां भी रहना...
मैं तुझे जरूर याद आऊंगी...
मेरा डांटना तू सुन लेना..
तेरे दिल की आवाज बन कर आऊंगी।


तुम्हारी प्यारी अप्सरा।
© jyoti