कृष्ण कमल "सत्रहवाँ श्रृँगार" .. भाग - २
इस कहानी की पिछले संभाग में श्री ने "कृष्ण कमल " की महिमा से अनभिज्ञता प्रकट करते हुए बोलती है कि प्रिय मंगल इसके बारे में मुझे विस्तार पूर्वक बताएं....अब आगे.....
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मंगल कृष्ण कमल का वृतांत बताते हुए कहता है कि हे श्री सुनो..
यह " कृष्ण कमल " पुष्प तो महाभारत को अपने में समाहित किए हुए हैं.. जिसमें इसकी सफेद सौ पंखुड़ियाँ कौरवों को दर्शाती है...
उसके ऊपर की पाँच पंखुड़ियाँ..... पाँच पांडवों को , उसके ऊपर गोलाकार संरचना द्रोपति को दर्शाती है ठीक उसके ऊपर की तीन पंखुडियाँ ब्रह्मा, विष्णु और महेश को दर्शाती है....
बीच में गोलाकार संरचना जो बना है वह सुदर्शन चक्र है उसके बीच स्वरूप में हमारे माधव श्री कृष्ण जी विराजमान हैं....
आदिकाल से ही इसकी धीमी भीनी खुशबू तन मन और हृदय को प्रसन्नचित कर, वातावरण को नकारात्मकता से मुक्त कर देती है....
यह " कृष्ण कमल" हमारे माधव, काशी...
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मंगल कृष्ण कमल का वृतांत बताते हुए कहता है कि हे श्री सुनो..
यह " कृष्ण कमल " पुष्प तो महाभारत को अपने में समाहित किए हुए हैं.. जिसमें इसकी सफेद सौ पंखुड़ियाँ कौरवों को दर्शाती है...
उसके ऊपर की पाँच पंखुड़ियाँ..... पाँच पांडवों को , उसके ऊपर गोलाकार संरचना द्रोपति को दर्शाती है ठीक उसके ऊपर की तीन पंखुडियाँ ब्रह्मा, विष्णु और महेश को दर्शाती है....
बीच में गोलाकार संरचना जो बना है वह सुदर्शन चक्र है उसके बीच स्वरूप में हमारे माधव श्री कृष्ण जी विराजमान हैं....
आदिकाल से ही इसकी धीमी भीनी खुशबू तन मन और हृदय को प्रसन्नचित कर, वातावरण को नकारात्मकता से मुक्त कर देती है....
यह " कृष्ण कमल" हमारे माधव, काशी...