हॅास्टल
अभी तक मैंने मांओ को बेटे को हॅास्टल भेजते समय रोते हुए देखा था और सोचती थी कि इसमें रोने की क्या बात है। पढ़ने ही तो जा रहा है आ जाएगा।
मेरी मां भी बहुत रोई थी जब मेरे भइया बाहर पढ़ने गए थे।
आज मैं उन सभी मां की भावनाओं को सही मायने में समझ पा रही हूं क्योंकि आज मेरा बेटा हॅास्टल में रह कर पढ़ने के लिए रवाना हुआ है।
आज से वह भी जिंदगी की आपाधापी की अंधी दौड़ में...
मेरी मां भी बहुत रोई थी जब मेरे भइया बाहर पढ़ने गए थे।
आज मैं उन सभी मां की भावनाओं को सही मायने में समझ पा रही हूं क्योंकि आज मेरा बेटा हॅास्टल में रह कर पढ़ने के लिए रवाना हुआ है।
आज से वह भी जिंदगी की आपाधापी की अंधी दौड़ में...