...

2 views

हॅास्टल
अभी तक मैंने मांओ को बेटे को हॅास्टल भेजते समय रोते हुए देखा था और सोचती थी कि इसमें रोने की क्या बात है। पढ़ने ही तो जा रहा है आ जाएगा।
मेरी मां भी बहुत रोई थी जब मेरे भइया बाहर पढ़ने गए थे।
आज मैं उन सभी मां की भावनाओं को सही मायने में समझ पा रही हूं क्योंकि आज मेरा बेटा हॅास्टल में रह कर पढ़ने के लिए रवाना हुआ है।
आज से वह भी जिंदगी की आपाधापी की अंधी दौड़ में शामिल हों जाएगा। और साथ में
हम माता पिता की भी जिम्मेदारी के साथ -साथ चिंताएं बढ़ जाएगी।
कैसे रह रहा होगा, खाना खाया होगा कि नहीं, तबीयत ठीक है कि नहीं, कुछ समस्या आयी तो कैसे हैंडल करेगा।कहीं ग़लत संगत में ना पड़ जाए। सही ग़लत को समझकर आगे बढ़ पाएगा कि नहीं।
यहां हम लोग सम्भाल लेते थे वहां किसको बोलेगा।
ये सब जानते हुए कि आज कल के बच्चे बहुत समझदार है। मोबाइल है ,सब हाल मिलता रहेगा। जल्दी एडजस्ट हो जाते हैं ‌।
फिर भी मां के दिल क्या करु जो ना चाहते हुए भी ये मानने को तैयार नहीं है कि वह रह लेगा।
मेरी आंखों से आंसू रुकने को तैयार नहीं है ‌।
बहते जारहे हैं।
इतने साल कभी एक दूसरे से दूर रहना ही नहीं पड़ा।उसकी हमेशा से एक आदत थी कि कोई भी काम करता तो बता कर जैसे मम्मी मैं नहाने जा रहा हूं, पढ़ने जा रहा हूं, कोल्ड ड्रिंक पी लूं । सबसे खास बात मैं खाना कैसा भी बना कर दूं अच्छा या बुरा मम्मी थैंक्यू जरुर बोलेगा ये मै बहुत मिस करुंगी।
खाली कमरे का खालीपन मैं नहीं देख पा रही हूं।
लेकिन फिर मन को समझाती हूं कि अपना भविष्य संवारने के लिए उसे ईश्वर ने उसके मन का काॅलेज और ब्रांच दी है हमें ख़ुश होना चाहिए और हम खुश हैं भी ।
लेकिन फिर वही मां का ❤️ दिल.......

ईश्वर उसे सफलता प्रदान करें।
जय श्री माता जी।