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पराया-धन (2)
परायाधन कहकर भी वह कभी पराई नही हो पाई.....
बेटी तो ऐसी अनमोल रत्न है ,जो कीमती होकर भी सिर्फ त्याग की मूरत कहलाई...

यह कहानी है निशा की जो बहुत बडी-लिखी समझदार सुलझी हुई थी ।निशा की एक दिन मग्नी (engagement)तय हो गईं ।जोरो शोरो से मग्नी की तैयारी होने लगी।

निशा के माता-पिता मजदूरी करते थे ।तभी भी उन्होनें ने कर्जा लेकर बेटी की मग्नी की सभी खुश थे ।शादी की तारीख भी तय होने वाली थी। बातचीत होने लगी तब लड़के वालो ने पैसे की माँग की 15 लाख की।सभी के चेहरे का रंग उड़ गया इतने पैसो का इन्तजाम कैसे होगा ।
निशा ने बड़े ही निडरता से कहा दहेज लेना जुर्म है ।निशा की बात सुनकर सब खामोश हो गए -और उतने में एक आवाज आई--
"बेटा ये पैसे हमारे लिए नही ले रहे है हम
तो तुझे सरकारी नौकरी लगवाने के लिए
माँग रहे है"।

जब तु शादी कर हमारे घर आएगी हम तुझे नौकरी दिलाकर तेरा भविष्य संवारना चाहते है।
निशा को उनके बातो में लालच नजर
आया,और वह समझ गई ये लोग उसके अनपढ़ माता -पिता की अच्छाई का फायदा उठा रहे है।निशा ने शादी करने से इन्कार कर दिया और कहा--
"मै अपनी मेहनत लगन से नौकरी हासिल करूंगी ना की रिश्वत देकर।यह सुनकर निशा के माता-पिता बहुत खुश हो गए।और उन्होने अपने बेटी का साथ दिया उसके सोच का सम्मान किया ।

सार-- समाज में हमेशा लड़कियो को ऐसी गलत रूढियों का सामना करना पड ता है ।शिक्षा पाकर बेटी अपनी अलग पहचान बनाकर माँ-बाप का नाम रोशन करती है ।

--- @piyu