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स्वीकार करके चलें तो.....
जिंदगी के सफर में बहुत कुछ होता है हम चलते हैं तो कभी गिरते हैं।हंसते हैं तो कभी रोते हैं।
कभी जीत का जश्न मनाते हैं और कभी हार से टूट जाते हैं।
कभी सिलेक्शन तो कभी रिजेक्शन,
कभी लोगों का साथ मिलते है तो कभी भीड़ में भी अकेले पड़ जाते हैं। ये सब हमारे साथ हमारे जीवन में होता ही रहता है और हमेशा होता ही रहेगा।
हम हमेशा खुद को ऊंचाइयों पर देखना चाहते हैं और यही दुआ करते हैं कि कभी गिरे न।

क्यों? कभी पूछा है खुद से,क्यों हम कभी गिरना नहीं चाहते, क्योंकि हमारे गिरने पर लोग हमें अपनी निगाह से भी गिरा देंगें और हमें एहसास दिलाया जायेगा कि हम कितने कम हैं।

यही बात है न इसलिए हम गिरने से डरते हैं, हारने से डरते हैं।

पता है ये डर हमेशा ताउम्र हमारे साथ चलता है, हमें पल-पल एक अंदर से कचोटता है और हमारी सोच के जाल में हमें ही उलझा देता है।

यही होता है ना?

सबके साथ होता है ऐसा, अगर आपके साथ भी हो रहा है तो कोई बड़ी बात नहीं।

सबसे पहले तो स्वीकार करना सीखिए,कि हां मैंने ये प्रयास किया और इसमें मुझे असफलता मिली,अब मैं फिर से कोशिश करूंगा अपनी गलतियों को सुधारूंगा और नई आशा के साथ आगे बढूंगा।

हमें यह नहीं सोचना है की लोग हमे किस नजर से देखते है, बल्कि हमे अपना नजरिया बदलना है और लोगो का भी बदलना है।

बार-बार ये सोचते रहना कि लोग हमारी असफलता को और हमें कैसे किस नजर से देखेंगे बंद कर दो तभी आगे बड़ पाओगे।
पहले खुद अपनी गलतियों और कमियों को स्वीकार करो, खुद पर विश्वास रखो। क्योंकि दुनिया आपका भविष्य तय नहीं करती आप खुद करते हैं।

और याद रखें अगर आपको लगता है कि आप जीत सकते हैं तो कोई आपको हरा नहीं सकता।

_Tejswii_mdavi_
@mere_____aalfaaz