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Discretion power
कभी-कभी एक दिन ऐसा भी आता है कि हम सही फैसला नहीं कर पाते।

एक दिन कुछ ऐसा हुआ^^ कि मैं किसी विशेष चिंता के वशीभूत हो गया।जब समझ में न आया कि कैसे इस धारणा से निकलु; तभी नींद न आने की वजह साथ देने लगी। मेरी अवस्था बैठने और सोने की न रहि और मैं हतप्रभ होकर;अपने निवास से कुछ ही.. दूर घूमने के निश्चय से निकल पड़ा;चलते-चलते मैंने देखा, चंद्रमा पुर्ण रूप में व्यक्त थे। वजह सुंदर थी कि निशा अपना प्रभाव पथ पर रख नहीं पा रही थी। उस समय,मैं निर्भय और गतिमान था।
कुछ अंतराल में,दृष्य़ की शोभा बढ़ाने में मद्; झरने के करीब मै आ पहुंचा। मुझे ऐसा लग रहा था,कि उस झरने की ध्वनि मेरे भीतर चिंता को कहीं धो तो नहीं रही है,
सच कहूं तो मन को कोई और आकर्षण मिल गया था।
लेकिन आकर्षण को विकर्षण में परिवर्तित होतें समय न् लगा।वजह रही कि मेरे पीछे एक अज्ञात व्यक्ति ने उपस्थितिथीं ली थी, जिसे देख मुझे विश्राम से सावधान होने में समय न लगा और मैं प्रश्न पूछने की दशा में जा पहुंचा; पर पूछता किस से जिसे मैंने मुड़ कर देखा वो ख्यालों की छबी थी।
मैं शीघ्र ही अपने निवास स्थान पर जा पहुंचा और इस पूर्ण घटना पर मंथन करने लगा। जब समझ में आया तो कुछ मिनटों तक अकेले ही मुस्कुराता रहा।
वह चिंता थी जिसने मुझे दौड़ाया; वह चंद्रमा था जिसने कुछ पल अपने रूप में मुझे फसाया; वो प्रकाश था जिसने निशा को मार पथ दर्शन कराया; वो झरना था जिसने चिंता को कुछ पल बहाया; जिसे मैंने पीछे मुड़ कर देखा था वह उस चिंता से निर्मित भय था। जिसने फिर से मुझे झरने से अपने निवास स्थान तक दौड़ाया था।

इसका सरल सा अर्थ है, चिंता एक तरह की चिता है, जो समस्त मनोरंजनों को अपनाने पर भी; क्षण मात्र में जला देती है और भय के उपस्थिति का अनुभव कराती है।
लेकिन ठीक से देखने पर मानव जाति में 'विवेक' ऐसा एक शस्त्र है जिससे चिंता मिट जाती है। विवेक की कमी होने पर,इस तरह की कई घटनाएं मनुष्य के जीवन में रोज उभरती है।
इसके पश्चात मैंने विवेक से अपनी चिंता को समाप्त किया।

[सही और गलत का अचूक निर्णय करने की शक्ति को विवेक कहते हैं]

#writco
@kamal