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//उस रात को //
#रॉन्गनंबर
बड़ी ज़ोर की बारिश हो रही थी। आसमान में बिजली कड़कड़ा रही थी पर घर पर बिजली गुल थी। तभी फोन की घंटी बजी और जीत ने रिसीवर उठा के कहा हैलो, कौन है? उधर से आवाज़ आई ओह, सॉरी, रॉन्ग नंबर, और फोन रख दिया गया। जीत को दो साल पहले की वो तूफानी रात याद आ गई। उस दिन भी तो उसके कॉल को सबने रॉन्ग नंबर कहकर काट दिया था, तितली के अचानक से गायब हो जाने के बाद जीत लगभग पागल सा हो गया था, पुलिस वालों के भी नाकामयाब होने के बाद वो डायरेक्टरी बुक को खोलकर पागलों की तरह, हर नंबर पर कॉल लगाकर कहता -" मेरी ' तितली' है क्या," आवाज़ आती है - 'सारी रॉन्ग नंबर',
बेटी को अगवाह करवाने के शक में 'तितली' के परिवार वालों ने उसको लॉकअप में भी डलवा दिया था, पर किसी को भी आज तक 'तितली' का कहीं कुछ पता नही चला। आज तक वो परेशान है, ये सोचकर के अचानक उसका प्यार गायब कहां और कैसे हो गई।
आख़िरी बार 'तितली' ने रोते- रोते उसको फोन पर कहा था के- "जीत मैं तुम्हारे पास आ रही हूं, हमेशा के लिए मम्मी पापा जबरन मेरी शादी कहीं और करवाना चाहते है, मैं सबकुछ छोड़ कर तुम्हारे पास आ रही हूं। तितली की आखिरी बातें आज तक उसके कानों में गूंजती रहती हैं।
वो अंधेरे में बैठकर अकेले पुरानी बातों को याद करने लगता है, किसी सिनेमा का फ्लैशबैक की तरह दो साल पहले की उसकी अधूरी प्रेम कहानी उसके आंखों के सामने उसे दिखाई देती है। कैसे एक रॉन्गनंबर पर बात करते करते करते उनमें पहले दोस्ती हुई फिर मोहब्बत हो गई थी। वो पुरानी यादों में खोया ही था, के दोबारा घंटी बजी, जीत यादों में अब तक खोया हुआ था रिसीवर को उठाते ही उसके मुख से निकला... तितली !
दूसरी ओर से आवाज आई..... "हम्मम्म्मम जीत! तुम कैसे हो जीत?
'जीत' अपने आप को बार बार झंझोरता है। उसे यकीन नही हो रहा था अपने कानों पर। फिर कंपकंपाते हुए आवाज़ में कहता है- ति....त.....ली, तु.....म!!
आवाज़ आई - हां! मैं!
'जीत' ख़ुशी से झूम उठता है और लुढ़कते हुए अपने आंसुओं को पोछते हुए कहता हैं-" कहां खो गई थी तुम, मैने तुम्हे कितना तलाश किया, कहां -कहां नही ढूंढा, पर तुम मुझे कहीं नहीं मिली। अचानक से तितली के सिसकियों को सुनकर जीत बहुत बेचैन हो उठता है, और रिसीवर को दोनो हाथों से मजबूती से पकड़ते हुए कहता है -प्लीज रोओ मत तितली!
कहो ना कहां पर हो तुम।
तितली ने कहा 'सनराइज हॉस्पिटल' में!
जीत के मुख से ज़ोर से आवाज़ निकलता है - व्हाट?
मेरे हॉस्पिटल में( जीत उसी हॉस्पिटल में डॉक्टर था)

जीत भागता हुआ जैसे ही अस्पताल में घुसता है वहां उसे तितली उसी के कुर्सी में बैठी हुई दिखती है।
उसके सिर के बाल कटे थे पूरा मुंह घाव में भरा था,चेहरा कला और झुलसा हुआ था, माथे पर पट्टी बंधी थी, और वो फटी पुराने सलवार कमीज़ से जैसे तैसे तन को ढकी हुई थी
नंगे पैरों को देखकर लग रहा था के उसने कभी सैंडल पहना ही ना हो, उसकी ऐसी हालत को देखकर वो हैरान हो कर सोचता है... कितनी सुंदर थी मेरी तितली आज मिली भी तो किस हालत में
डॉक्टर ' अवस्ती' उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहता है- "नाओ शी इज़ ऑल राइट मिस्टर जीत"। मैने चेकअप कर दिया है
जीत भागकर उसके पास जाता है और पूछता है क्या हुआ था उस रात को, कहां थी वो इतने दिनों तक ?
डॉक्टर अवस्ती उसको बीच में ही रोककर कहता है,जीत ये मुझे रेलवे प्लेटफॉर्म में बेहोशी की हालत में गिरी हुई मिली ।
काफी देर तक रोने के बाद तितली जब आप बीती बताती है तो सबके रोंगटे खड़े हो जाते है -
उसके मां बाप ने जबरन उसकी शादी किसी और के साथ तय कर दिया था, तितली पहले तो बहुत ज़िद कर रही थी, जीत के साथ शादी करने के लिए, लेकिन जब किसी ने उसकी ना सुनी तो उस रात को उसने रोते हुए पहले जीत को फ़ोन लगाया था, फिर घर से भाग गई थी, उसके पीछे कुछ गुंडे लग गए थे, वो गुंडों से बचने के लिए चलती ट्रेन पर चढ़ जाती है और उसके बाद वो 'अहमदाबाद' के स्टेशन पर जाकर उतरती है, ट्रेन से उतरकर वो जैसे ही जीत को फोन करने के लिए 'एसटीडी बूथ' की तरफ जाती है, तभी किसी पोल से टकराकर गिर जाती है,उसके बाद उसे कुछ याद नहीं...
जब उसे होश आता है तो वो खुद को फटे पुराने कपड़ों में सरकारी अस्पताल के बेड में पाती है डॉक्टर को कहते हुए सुनती है कि वो एक भली 'भीखारन' है जो की स्टेशन पर बैठकर भीख मांगती हैं। वो डॉक्टर से दिन और तारीख पूछती है तो उसे पता चलता है कि दो साल गुज़र चुका है ।
वो आप बीती डॉक्टर को बताती है और जीत जीत करके चिल्लाने लगती है, उस डॉक्टर के मदद से ही वो दिल्ली तक पहुंच पाती है, क्योंकि जीत का फोन नंबर वो भूल चुकी थी। पर यहां पर ट्रेन से उतरते ही उसकी मुलाकात डॉक्टर अवस्थी के साथ होती है और वो उसे अपने साथ इस तूफ़ानी रात में किसी तरह अस्पताल तक लेकर आता है।
जीत को समझते देर नहीं लगता हैं, के खम्बे से टकराकर 'तितली' अपनी याददाश खो बैठी थी,और दो साल बाद फिर से किसी हादसे के बाद ही शायद उसकी याददाश्त वापिस आयी होगी। उसकी हालत देखकर वो फूट फूटकर रोने लगता है,उसे अपने ऊपर बेहद ग्लानि महसूस होता है के उसके वज़ह से तितली को भिखारन की ज़िंदगी पूरे दो साल तक गुजारनी पड़ी होगी। वो भागकर तितली को सीने से लगा लेता है और फूट - फूट कर रोने लगता है।
अचानक से तितली ख़ुद को उससे छुड़ाकर कहती है, जीत इन दो सालो में क्या हुआ मेरे साथ मुझे कुछ भी याद नही है, मैं अब तुम्हारे काबिल भी हूं के.....जीत उसके मुंह पर हाथ रखकर उसे बीच में ही रोकते हुए कहता है - ओह! तितली मेरा प्यार इसका मोहताज नहीं हैं, अगर तुम आज मुझे किसी कोठे में भी मिली होतो तो भी मैं तुम्हे इतने ही प्यार से अपनाता और उसे अपने सीने में जोर से कस लेता हैं।
©हेमा