जिंदगी और उलझन
डॉक्टर के केबिन से निकलने वाद आराध्या दवाई लेने के लिए अस्पताल की दूसरी तरफ की और चली गई । उसने वहां जा कर प्रेस्क्रिप्शन दिखाई और फिर वहां से बिल चुका कर डॉक्टर की दी हुई सारी दवाई ले ली । अस्पताल से बस स्टेशन थोड़ा सा दूर था, पैदल चलते तो दस पंद्रह मिनट लगते थे । आराध्या अस्पताल से बाहर आ कर रिक्शा के लिए रुकने लगी लेकिन उन्हें कोई रिक्शा मिला ही नहीं । वैसे तो यहां आसानी से मिल जाते हैं रिक्शा पर आज पता नहीं क्यों आराध्या को मिला ही नहीं । कुछ समय रुकने बाद आराध्या ने सोचा क्यों ना आज मैं थोड़ा पैदल ही चल लूं और फिर उसे डॉक्टर की कही हुई बात भी याद आ गई कि उसे थोड़ा एक्टिव रहना चाहिए । यहीं सोच कर आराध्या ने बस स्टेशन की और चलना शुरू कर दिया ।
मौसम भी आज सुहावना था, इसलिए आराध्या धीरे धीरे उसका आनंद उठाकर चलने लगी । चलते चलते उसके मन में डॉक्टर की कही हुई बातें याद आने लगी, "देखिए मिस आराध्या, चिंता करने की कोई बात नहीं है। मैं कुछ दवाई लिख रहा हूं, आप इन्हें ले लीजिएगा। लेकिन एक बात मैं आपको क्लियर कर देना चाहता हूं, सिर्फ दवाई खा कर आप पूरी तरह से ठीक नहीं हो सकते । इसके साथ आपको खुद भी अपने मानसिक स्वास्थ्य का...
मौसम भी आज सुहावना था, इसलिए आराध्या धीरे धीरे उसका आनंद उठाकर चलने लगी । चलते चलते उसके मन में डॉक्टर की कही हुई बातें याद आने लगी, "देखिए मिस आराध्या, चिंता करने की कोई बात नहीं है। मैं कुछ दवाई लिख रहा हूं, आप इन्हें ले लीजिएगा। लेकिन एक बात मैं आपको क्लियर कर देना चाहता हूं, सिर्फ दवाई खा कर आप पूरी तरह से ठीक नहीं हो सकते । इसके साथ आपको खुद भी अपने मानसिक स्वास्थ्य का...