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एक हिस्सा और कुछ नहीं
आज सवेरे से ही निशा के साथ सुहानी की बहस छिड़ी हुई थी। आज फिर सुहानी को Shopping पे जाना है। एक पार्टी में पहना ड्रेस वो दूसरी पार्टी में Repeat नहीं करती। रजनीश से निशा लगातार सुहानी की सिकायत किए जा रही थी। निशा कह रही थी," पंद्रह साल की उम्र है। एक्जाम सर पर हैं और महारानी जी ( सुहानी) के फैशन में कोई कमी नहीं होनी चाहिए।" रजनीश अपनी इकलौती बिटिया को ही support करता है। रजनीश कहता है, " सुहानी जो भी चाहे उसे खरीदने दो। उसके छोटे मामा की शादी है।" finally shopping पे जाना तय हो जाता है।

शहर के बड़े शॉपिंग मॉल के बेसमेंट में जब रजनीश अपनी कार पार्क कर रहा था कि उसी वक्त निशा का ध्यान सामने ही कार पार्क कर रहे सख्श पे जाती है। वो सख्श कार से उतरता है और अपनी बगल की सीट का door खोलता है। उसपर बैठी एक औरत अपने गोद में लिए छोटे से बच्चे के साथ कार से उतरती है। पीछे की सीट पर बैठी एक बच्ची उसे पापा कह रही थी। वो सख्श उस बच्ची का हाथ थमता है और मॉल की तरफ चल देता है। निशा को पल भर के लिए लगा ये सब कोई सपना सा हो शायद...लेकिन वो जान जाती है कि वो सख्श कोई और नहीं सूरज था। निशा भी अपने परिवार के साथ मॉल में दाखिल होती है।

निशा की बेटी सुहानी कई कपड़े ट्राई कर रही थी। वहीं सूरज अपनी बच्ची का हाथ थामे अपनी पत्नी की शॉपिंग में मदद कर रहा था। छोटे_छोटे मोजे कभी टोपियां पसंद कर रहा था। इस बीच सूरज कई बार अपनी पत्नी की गोद में बच्चे को गरम शॉल से ढक रहा था।उसे ठंड ना लगे इस बात का पूरा ध्यान रख रहा था। निशा नजरे चुरा_ चुराकर कई बार सूरज को देखे जा रही थी। इस बीच कई बार सुहानी ट्रायल रूम से निकलती और सूरज को सामने देख excuse me अंकल कह कर अपने पापा की तरफ बढ़ती और रजनीश के सामने जा कर अपने पापा से पूछती, " पापा मैं कैसी लग रही हूं।" रजनीश हर बार कहता," बहुत अच्छी लग रही हो।" इस तरह सुहानी की शॉपिंग पूरी होती है और सभी घर लौट आते हैं।

शाम का वक्त था। ठंडी_ठंडी सी हवा चल रही थी और निशा के जेहन में कुछ पुरानी यादें चल रही थी। वही कॉलेज के दिन और निशा का सूरज से मिलना। इन्हीं खयालों में निशा खोई थी कि तभी सुहानी की जोरदार आवाज से निशा का ध्यान अपनी ओर खींचता है। सुहानी अपनी शॉपिंग की हुई सारी चीजे अपने पापा पर फेक रही थी और जोर_जोर से रो रही थी। रजनीश उसके कपड़ों पर funny comment कर रहा था और वो हंस रहा था। निशा आती है। रजनीश को जोरों की डांट लगाती है और सुहानी को चुप कराती है। और सारे कपड़े फिर से ट्राई करने को कहती है।

वक्त कहां ठहरा रहता है... सब कुछ बदल जाता है वक्त के साथ....लोग भी और उनके जज्बात भी...आज में जीना और आज को अपनाना ही जिंदगी है....पुरानी यादें तो एक हिस्सा भर ही होती है...जिंदगी का....और कुछ नहीं....निशा रजनीश के कांधे पर अपना सर टिकाए बैठी है और सुहानी अपने कपड़ों के बारे में अपने मम्मी और पापा के पॉजिटिव... हां...एकदम पॉजिटिव कॉमेंट ले रही है।

#poonamsingh

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