मैं...
बोलती बहुत हूं मैं,
मगर कभी - कभी बिल्कुल ही चुप हो जाती हूं,
दुनियां की हर चीज जानने का शौक रखती हूं;
मगर अनजान लोगों के बीच सहम सी जाती हूं,
अपने करीबियों के बीच रहना पसंद है मुझे;
मगर उनसे भी सब कुछ कह नहीं पाती हूं,
डर लगा रहता है किसी को दुखी न कर दूं;
इसलिए हमेशा खुद को सताती हूं,
वैसे strong बहुत हूं मैं,
मगर छोटी -छोटी बातों को दिल से लगती हूं,
एक पल का गुस्सा एक पल की हंसी है मुझमें;
दूसरों को मैं बच्ची नज़र आती हूं,
एहसासों और जज़्बातो में उलझने से डर लगता है;
मगर प्यार से बात करे कोई तो मैं खुल कर मुस्कुराती हूं,
अपने भीतर इतना कुछ छिपा रखा है कि कभी - कभी पत्थर नज़र आती हूं;
मगर यकीन मानें तो एक आलिंगन से ही मैं रेत की तरह बिखर जाती हूं...
© Rishali
It's good to know about yourself...
(part 1)
मगर कभी - कभी बिल्कुल ही चुप हो जाती हूं,
दुनियां की हर चीज जानने का शौक रखती हूं;
मगर अनजान लोगों के बीच सहम सी जाती हूं,
अपने करीबियों के बीच रहना पसंद है मुझे;
मगर उनसे भी सब कुछ कह नहीं पाती हूं,
डर लगा रहता है किसी को दुखी न कर दूं;
इसलिए हमेशा खुद को सताती हूं,
वैसे strong बहुत हूं मैं,
मगर छोटी -छोटी बातों को दिल से लगती हूं,
एक पल का गुस्सा एक पल की हंसी है मुझमें;
दूसरों को मैं बच्ची नज़र आती हूं,
एहसासों और जज़्बातो में उलझने से डर लगता है;
मगर प्यार से बात करे कोई तो मैं खुल कर मुस्कुराती हूं,
अपने भीतर इतना कुछ छिपा रखा है कि कभी - कभी पत्थर नज़र आती हूं;
मगर यकीन मानें तो एक आलिंगन से ही मैं रेत की तरह बिखर जाती हूं...
© Rishali
It's good to know about yourself...
(part 1)