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संबंध में गंध होती तो कलेजे से न लिपटती, मैं रुपिया हूं मुझे छूकर कोई हाथ नहीं धोता
कसाई ने उसी हाथ से मांस तौलकर ग्राहक को दिया ,और उसी हाथ से रुपिया गिना,इस तरह रुपए के नोट उसके खून से सने हाथ से लतपथ
होते हुए शादी में खाना खा रहे पंडितोकी थाली तक जा पहुंचे,अब इन पंडितों को नोट से गंध नही आ रही,उसे सबसे पहले जेब में रखा जा रहा है,क्योंकि वो रुपिया है संबंध पंडित से भी है और कसाई से भी, इसलिए पंडित ने भी उसे खाना खाते हुए जेब में सरका दिए 😊🙏
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