वो रात का मुसाफ़िर
रात के करीब देढ़ बज रहे थे, बारिस होकर थोड़ी देर पहले ही बन्द हुई थी, बारिस का पानी अभी भी जहाँ-तहाँ सड़क के गड्ढ़ों को भर रहा था, ये शहर की बाहरी सड़क थी जिसपर प्रिया की कार बीच रास्ते में ही ख़राब हो गई, और उसे घर पहुँचने की बहुत जल्दी थी क्योंकि उसकी माँ को हार्ट अटैक आया था, और वो जल्द से जल्द उनके पास पहुंचना चाहती थी।
प्रिया अपने माता-पिता की इकलौती सन्तान थी, जिसे माँ बाप ने बहुत प्यार से पाला था, और वो भी उनपर जान छिड़कती थी, वो अपनी mbbs के अंतिम सेमेस्टर में थी, लाख कोशिशों के बाद भी उसे अपने शहर के कॉलेज में सीट नहीं मिल पायी थी, पर पास के ही शहर में अच्छे मेडिकल कॉलेज में सीट मिली थी। पिता ने जब उसे माँ के बारे में बताया तो वो खुद को सुबह तक रोक न सकी और अपनी किसी दोस्त की कार से जल्द से जल्द अपने पिता की मदद के लिये निकल पड़ी थी, पर शायद क़िस्मत को कुछ और ही मन्ज़ूर था, उसने अपने फोन को देखा वहाँ नेटवर्क नहीं था, मज़बूरी में उसने किसी से लिफ़्ट लेने की सोची हालाँकि वो ये जानती थी की ये रिस्की हो सकता है, पर अब उसके सामने कोई दूसरा विकल्प भी शेष नहीं था,
उसने उधर से गुजरती कुछ कारों से लिफ़्ट लेने का प्रयास किया, कई गाड़ियां तो बिना रुके ही गुज़र गयीं, फिर एक महंगी कार रुकी जिसमें तीन-चार लड़के सवार थे, प्रिया को उनसे लिफ़्ट लेने में कुछ झिझक तो हुई मगर मजबूरी में अक्सर इन्सान कुछ चीज़ों को नजरअंदाज कर देता है वही ग़लती प्रिया से भी हुयी, प्रिया को बैठाकर कुछ दूर आगे बढ़ते ही उन लड़कों ने बुरी नीयत से उससे जबरदस्ती शुरू कर दी, प्रिया एक अकेली लड़की और वो चार लफंगे, उसे नोंचने को उस पर टूट पड़े, प्रिया प्रतिरोध में पूरा जोर लगा रही थी इसी सब में तेज रफ़्तार से भागती कार का संतुलन बिगड़ गया और वो डिवाडर से टकराकर उलट गयी और एक भीषण दुर्घटना घट गयी।
इस घटना के तीन साल बाद ठीक उसी जगह के पास जहाँ वो दुर्घटना घटी थी प्रिया की कार आज फिर खराब हो गयी, समय भी लगभग रात के एक बजे थे, वो अपनी गाड़ी में ही डरी सहमी सी बैठी सोच ही रही थी की अब वो क्या करे की अचानक एक जीप रुकी जिसमें कुछ मनचले बैठे थे और सड़क पर खड़ी अकेली गाड़ी देख शायद लूट-पाट की नीयत से कार के पास पहुंचे पर कार में सुन्दर लड़की देखकर तो उनकी लार ही टपकने लगी, और उन्होंने कार पर हमला कर दिया, कार का कांच टूट गया जिससे...
प्रिया अपने माता-पिता की इकलौती सन्तान थी, जिसे माँ बाप ने बहुत प्यार से पाला था, और वो भी उनपर जान छिड़कती थी, वो अपनी mbbs के अंतिम सेमेस्टर में थी, लाख कोशिशों के बाद भी उसे अपने शहर के कॉलेज में सीट नहीं मिल पायी थी, पर पास के ही शहर में अच्छे मेडिकल कॉलेज में सीट मिली थी। पिता ने जब उसे माँ के बारे में बताया तो वो खुद को सुबह तक रोक न सकी और अपनी किसी दोस्त की कार से जल्द से जल्द अपने पिता की मदद के लिये निकल पड़ी थी, पर शायद क़िस्मत को कुछ और ही मन्ज़ूर था, उसने अपने फोन को देखा वहाँ नेटवर्क नहीं था, मज़बूरी में उसने किसी से लिफ़्ट लेने की सोची हालाँकि वो ये जानती थी की ये रिस्की हो सकता है, पर अब उसके सामने कोई दूसरा विकल्प भी शेष नहीं था,
उसने उधर से गुजरती कुछ कारों से लिफ़्ट लेने का प्रयास किया, कई गाड़ियां तो बिना रुके ही गुज़र गयीं, फिर एक महंगी कार रुकी जिसमें तीन-चार लड़के सवार थे, प्रिया को उनसे लिफ़्ट लेने में कुछ झिझक तो हुई मगर मजबूरी में अक्सर इन्सान कुछ चीज़ों को नजरअंदाज कर देता है वही ग़लती प्रिया से भी हुयी, प्रिया को बैठाकर कुछ दूर आगे बढ़ते ही उन लड़कों ने बुरी नीयत से उससे जबरदस्ती शुरू कर दी, प्रिया एक अकेली लड़की और वो चार लफंगे, उसे नोंचने को उस पर टूट पड़े, प्रिया प्रतिरोध में पूरा जोर लगा रही थी इसी सब में तेज रफ़्तार से भागती कार का संतुलन बिगड़ गया और वो डिवाडर से टकराकर उलट गयी और एक भीषण दुर्घटना घट गयी।
इस घटना के तीन साल बाद ठीक उसी जगह के पास जहाँ वो दुर्घटना घटी थी प्रिया की कार आज फिर खराब हो गयी, समय भी लगभग रात के एक बजे थे, वो अपनी गाड़ी में ही डरी सहमी सी बैठी सोच ही रही थी की अब वो क्या करे की अचानक एक जीप रुकी जिसमें कुछ मनचले बैठे थे और सड़क पर खड़ी अकेली गाड़ी देख शायद लूट-पाट की नीयत से कार के पास पहुंचे पर कार में सुन्दर लड़की देखकर तो उनकी लार ही टपकने लगी, और उन्होंने कार पर हमला कर दिया, कार का कांच टूट गया जिससे...