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आजादी और जलेबी
*आजादी और जलेबी*

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वो जलेबियों की महक , रफ़ी के आजादी के गाने , वो 15 ऑगस्ट की तड़के की सुबह और सुबह के इंतजार में बीती शाम .......आज़ादी का मतलब पता नहीं था मग़र पूरे आज़ाद थे । सुबह तड़के उठ जाना और इस्त्री की हुई कमीज़ और हाफ़ पैंट नहाकर तुरत पहन कर...