मेरी दास्ताँ
Ni_kh_iL नि_खि_ल: आज काम धंधा निपटा के बैठा था,सोचा चलो थोड़ा सो लेता हूँ पर कमबख्त बॉडी का सेटअप कुछ ऐसा हो चुका है की नींद हो या भूख एक निश्चित टाइम पर ही लगती है..
फिर क्या थोड़ी देर मोबाइल फिर लैपटॉप फ़िर बोरियत..
अब क्या करूँ..
सोचना शुरू..
बस यही नही करना था...
फ़िर किसी फिल्म की तरह अब तक गुजरे सभी पल फ्रेम बाई फ्रेम खुलते चले गए..
लाइफ... मोमेंट्स..
अब सबकी जिंदगियों की तरह मेरी ज़िंदगी में भी खुशियों का डेरा ग़मों का बसेरा हँसने हँसाने की बातें रोने रुलाने की यादें पढ़ाई खेल कूद पापा के जेब से पैसे चुराने स्कूल से भाग कर फ़िल्म तो कभी क्रिकेट मैच खेलने जाने के बीच कब बड़े हुए पता ही नही चला...
शरारतों बदमाशियों लाड़ प्यार दुलार के बीच कब बड़े हो गए पता भी नही चला..
अब कॉलेज के दिन आ गए...
कॉलेज....हर शख्श की लाइफ का सबसे बेहतरीन मोमेंट...
अब यहाँ चुके तो ज़िंदगी झंड होनी तय है..
असली तजुर्बा तो यही मिलता है..
खुराफात मस्ती शैतानी..और संभलते ही कैरियर सेट...वरना 🫤
मेरी कहानी भी औरों से अलग कहाँ थी,बस थोड़ी मस्ती थोड़ी शैतानी और सबसे बड़ी आफ़त लड़की का चक्कर..ये किसी खाने को लाजवाब बनाने की सीक्रेट रेसिपी जैसी...
फिर क्या थोड़ी देर मोबाइल फिर लैपटॉप फ़िर बोरियत..
अब क्या करूँ..
सोचना शुरू..
बस यही नही करना था...
फ़िर किसी फिल्म की तरह अब तक गुजरे सभी पल फ्रेम बाई फ्रेम खुलते चले गए..
लाइफ... मोमेंट्स..
अब सबकी जिंदगियों की तरह मेरी ज़िंदगी में भी खुशियों का डेरा ग़मों का बसेरा हँसने हँसाने की बातें रोने रुलाने की यादें पढ़ाई खेल कूद पापा के जेब से पैसे चुराने स्कूल से भाग कर फ़िल्म तो कभी क्रिकेट मैच खेलने जाने के बीच कब बड़े हुए पता ही नही चला...
शरारतों बदमाशियों लाड़ प्यार दुलार के बीच कब बड़े हो गए पता भी नही चला..
अब कॉलेज के दिन आ गए...
कॉलेज....हर शख्श की लाइफ का सबसे बेहतरीन मोमेंट...
अब यहाँ चुके तो ज़िंदगी झंड होनी तय है..
असली तजुर्बा तो यही मिलता है..
खुराफात मस्ती शैतानी..और संभलते ही कैरियर सेट...वरना 🫤
मेरी कहानी भी औरों से अलग कहाँ थी,बस थोड़ी मस्ती थोड़ी शैतानी और सबसे बड़ी आफ़त लड़की का चक्कर..ये किसी खाने को लाजवाब बनाने की सीक्रेट रेसिपी जैसी...