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शर्तिया चन्दन..✍️✍️
#शर्त
चंदन को शर्त लगाना और फिर उसे जीतना बहुत पसंद था। हर बात पर शर्त लगाना उसकी आदत में शुमार हो गया था। इसलिए चंदन को लोग शर्तिया चंदन कह कर बुलाते थे। आज फिर उस ने शर्त लगाई थी आनंद से कि वह बड़ी हवेली के बगीचे से दस आम तोड़ के लायेगा।
वह बगीचा वहां के एक क्रूर जमींदार का था
जो बहुत ही अधर्मी और अन्यायी था ।
उसके आम के बाग में उसके पहरेदार दिन- रात पहरा देते रहते थे।
वह बगीचे में ना तो किसी को घुसने देता था
और न ही किसी को बगीचे के आस पास
जाने की अनुमति थी।
गांव वाले भी उससे बहुत भयभीत रहते थे।
चंदन ये सोचकर थोडा परेशान तो हुआ
मगर उसने अपनी हिम्मत नहीं छोड़ी।
उसने यह निश्चय किया कि चाहे कुछ भी हो
जाये वह जमींदार के बाग में जायेगा और
अपनी शर्त पूरी करेगा।
वो सोचने लगा कि मगर बगीचे वाली बात
घर तक नहीं जानी चाहिए वरना उस पर
बहुत मार पड़ेगी क्योंकि मां ने भी उसे बगीचे
से दूर रहने की सलाह दी थी।
फिर कुछ सोच कर वह आम के बगीचे की
तरफ जाने लगा।
वहां पहुंच कर उसने देखा सभी पहरेदार
बड़ी चतुराई से पहरेदारी कर रहे हैं अगर
वह इस समय बगीचे में घुसेगा तो पकड़ा
जायेगा।
फिर वो शाम के अंधेरे में बगीचे में गया।
वहां रात में सारे पहरेदार सो चुके थे।
उसने जल्दी जल्दी आम तोड़ना शुरू किया
चन्दन बहुत खुश था कि अब उसे रोकने
वाला कोई नहीं।
तभी उसे कुछ आवाज सुनाई दी।
वह डर के मारे वही छिप गया। उसने
अब तक पांच छः आम ही तोड़ पाये थे।
शायद उसके आम तोड़ने की आवाज से
एक पहरेदार जग गया। उस पहरेदार ने
बाग में आवाज़ भी लगाई।
वो पहरेदार चन्दन की तरफ ही बढ़ रहा था।
मगर अंधेरा होने के कारण साफ साफ
नहीं देख पा रहा था।
चन्दन ने अंधेरे का फायदा उठाकर
वहां से बाग के दूसरी तरफ दबे पांव
पहुंच गया और आम तोड़कर तुरन्त
बगीचे से बाहर आ गया।
उसने वह आम आकाश को दिखाए।
तो आकाश भी उसकी हिम्मत की दाद देने
लगा।
क्यों कि ऐसे क्रूर जमींदार के बाग से आम
चुराना कोई छोटी बात नहीं थी।
अगर पहरेदार देख लेते तो पता नहीं उसका
क्या हश्र होता।
पर उसने आज फिर सिद्ध कर दिया कि वह
शर्तिया चन्दन है।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि
हमें कोई काम जल्दबाजी में नहीं करना चाहिए।
हर एक काम का एक नियत समय होता है।


© Shaayar Satya