you are for me 2
एक अजनबी - 1
अनन्या अक्सर सोशल मीडिया पर सक्रिय रहा करती थी । शुरू से उसे सोशल मीडिया पसंद था । एक दिन अनन्या फेसबुक पर अपने दोस्त को मैसेज कर रही थी , " हेलो , अंकित कैसे हो ? कोई काम था ? तुमने मुझे पहले भी मैसेज किया था । मैं तुम्हें जवाब नहीं दे पाई । मैं व्यस्त थी , उसके लिए माफ करना ।"
अंकित ने जवाब दिया , " हाय ! मैं बस यही पूछ रहा था कि आप कैसे हैं ?"
अनन्या , " मैं तो बिल्कुल ठीक हूं । अच्छा तुमने फाइल बना ली ?"
अंकित , " माफ करना ! लेकिन , कौन सी फाइल ?"
अनन्या , " नर्सिंग वाली फाइल । पेपर आने वाले हैं और ऐसे बोल रहे हो जैसे कुछ पता ही नहीं है ।"
अंकित , " कौन सी नर्सिंग ? अच्छा यह सब छोड़िए आप मुझे यह बताइए आप कहां से हैं ?"
अनन्या , " मैं जयपुर में रहती हूं ।"
अंकित , " अच्छा ठीक है ।"
अनन्या , " तुम भी तो जयपुर के ही हो !"
अंकित , " नहीं मैं जयपुर में नहीं रहता । किसने कहा मैं जयपुर का हूं ? मैं तो अबोहर में रहता हूं ।"
अनन्या , " तुम नर्सिंग नहीं करते , तुम जयपुर में भी नहीं रहते । क्या तुम मुझसे झूठ बोल रहे हो । एक बात बताओ , तुम कक्षा में तो इतनी बात नहीं करते । अब मुझसे इतना बोल रहे हो ।"
अंकित , " मैं आपकी कक्षा में नहीं पढ़ता ,तो मैं आपसे बोल कैसे सकता हूं ?"
अनन्या कुछ देर सब सोचती है । उसके दिमाग में यह सब चलता है कि यह ना ही नर्सिंग करता है , ना ही जयपुर में रहता है , ना ही मेरी कक्षा का है । कहीं मुझसे कोई गलती तो नहीं हो गई । अनन्या एकाएक अंकित की फोटो देखती है । यह वह अंकित नहीं था जो उसकी कक्षा में पढ़ता था ।
अनन्या अब सब कुछ समझ चुकी थी । अनन्या अंकित को मैसेज करती है, " माफ करना ।"
अंकित , " अरे कोई बात नहीं । आप मुझे इतना बताइए कि क्या समझे ?"
अनन्या , " मतलब की मैं तुम्हे अपनी क्लास वाला अंकित समझ रही थी । मैं नर्सिंग कर रही हूँ और कॉलेज में पढती हूँ । वहां मेरे साथ क्लास में अंकित नाम का भी लडका पढ़ता है । वो मुझसे ज्यादा बात नही करता । इसीलिए मैंने आपसे पूछा की तुम मुझसे क्लास में तो बात नही करते ।"
अंकित , " अच्छा ऐसी बात है क्या ? ओह ! ये अच्छा हुआ उसकी वजह से मुझसे आपने बात तो की । वरना मैं तो आपको मेसेज कर - कर के थक गया था । लेकिन आपने तो जवाब ही अभी दिया है और वो भी ग़लतफहमी में ।"
अनन्या , " हाँ , आप सही कह रहे है । क्योंकी.... मैं अजनबी से बात नही करती ।"
अंकित , " अच्छा ऐसा क्या ? चलो अब तो मैं आपके लिए अजनबी नही रहा । अब तो आप ने मुझे जान ही लिया ।"
अनन्या , " अभी कहाँ जान लिया ?"
अंकित , " और कितना जानेगी मुझे ? आपने मेरा नाम - पता तो जान लिया और क्या जानना है ? बताइए , हम अभी आपको बता देते है ।"
अनन्या , " क्या किसी इंसान को अपना बनाने के लिए उसका नाम पता जनाना ही मात्र होता है और किसी विषय में जानना जरूरी नही होता ।"
अंकित , " बड़ी दिलचस्प बातें करती है आप ।"
अनन्या , " तो .........।"
अंकित , " देखिये आप मुझे गलत समझ रही है । मेरा वो मतलब नही था ।"
अनन्या , " ठीक है । अब मेरे सोने का वक्त हो गया है इसीलिए शुभ रात्रि ।"
अंकित , " फिर कब बात होगी आपसे ?"
अनन्या , " इतनी भी क्या जल्दी है ?"
अंकित , " कुछ ऐसा ही समझ लीजिये की मुझे जल्दी है ।"
अनन्या , " ठीक है कल ...कल ।"
अंकित , " मैं इंतज़ार करूंगा आपका ।"
अनन्या , " चलती हूँ ।"
इतना कहकर अनन्या अपना फेसबुक अकाउंट बंद कर देती है और सो जाती है । वहां अंकित भी सो जाता है ।
अगली सुबह-
अनन्या अपना काम काज खत्म करके पढ़ने बैठ जाती है । तभी अचानक उसे रात वाला अजनबी याद आता है । वो अपना फेसबुक अकाउंट खोलती है और अंकित का मेसेज देखने लगती है ।
"सुप्रभात" अंकित का मेसेज आया होता है ।
अनन्या खुश होकर उसे जवाब में "नमस्ते" भेज देती है ।
अंकित , " कैसे हो आप ?"
अनन्या , " अरे क्या बात है ? आप तो तुरंत जवाब देने वालो में से निकले ।"
अंकित , " आपको अच्छा लगा क्या कि मैंने आपको तुरंत जवाब दिया ?"
अनन्या , " हाँ मुझे अच्छा लगा।"
अंकित , " ये हुई ना बात ।"
उनके बीच काफी देर तक ऐसे ही बातें चलती रही । कभी अनन्या अपने कॉलेज के बारे में बताती तो कभी अंकित उसे अपने अबहोर के बारे में बताता ।
अंकित , " अनन्या.... क्या तुम मेरी दोस्त बनोगी ?"
अनन्या , " मैं सबकी दोस्त हूँ । इसमें पूछने वाली कोन सी बात है ?"
अंकित , " बात है । तभी तो पूछ रहा हूँ ।"
अनन्या , " अच्छा ठीक है ।"
अंकित , " तो आज से अपने बेस्ट फ्रेंड।"
अनन्या , " एक मिनट , मैंने बेस्ट फ्रेंड का कब बोला ।"
अंकित , " अभी तो बोला अच्छा ठीक है।"
अनन्या , " हाँ, मैंने बोला ! लेकिन.... मैंने सिर्फ दोस्ती का बोला । न की बेस्ट फ्रेंड का ।"
अंकित , " लेकिन , मैं तो बेस्ट फ्रेंड का पूछ रहा था ।"
अनन्या , " मुझे पता नही था । आपको साफ़ - साफ़ बोलना चाहिए था ।"
अंकित , " अच्छा तो ठीक है !अब बोल दिया न मैंने ।"
अनन्या, " मेरा जवाब लेकिन ना है ।"
अंकित , " लेकिन क्यों ?"
अनन्या , " क्योंकि मैं बेस्ट फ्रेंड्स मे विश्वास नही करती । मुझे ये रिश्ता पसंद नहीं । दुनिया में कोई अपना नही होता । सब अपने मतलब के लिए ही होते है ।"
अंकित , " ऐसा नहीं है ?"
अनन्या , " ऐसा ही है ।"
अंकिता , " चलो ये आपकी सोच है ।"
अनन्या , " हाँ !"
अनन्या और अंकित रोजाना ढेरो बातें करने लगे । अनन्या को अंकित पर थोडा ही सही मगर भरोसा होने लगा ।
उसे अंकित का बात करने का अंदाज अच्छा लगने लगा । धीरे - धीरे उनकी दोस्ती बढ़ने लगी ।
ये इसीलिए हो रहा था क्योंकि अनन्या ये सब होने दे रही थी । अब अनन्या क्या सोचती है और क्या चाहती है ये कोई नहीं जान सकता । कुछ वक्त उसके बात करने के बाद अनन्या उसे भूल जाया करती थी । बस उसका सफ़र फेसबुक तक ही सिमित रहा ।
अनन्या थी तो खुले विचारों की लेकिन वो क्या कब छुपा जाये किसी को पता नहीं चल पाता था । अब करे क्या अनन्या है ही ऐसी! लेकिन कुछ तो था जो वो सब से छुपा रही है । कुछ तो है जो वो बताना नही चाह रही थी । खैर जो भी है , आपको धीरे - धीरे सब पता चल जायेगा ।
एक दिन ऐसे ही अनन्या और अंकित बातें कर रहे थे । तभी एकाएक अनन्या ने अंकित से पूछा , " क्या तुम अब भी मुझे अपनी दोस्ती के लायाक समझते हो ।"
अंकित ने जवाब दिया , " हाँ , लेकिन तुम क्यों पूछ रही हो ?"
तब अनन्या ने थोडा सोच कर जवाब दिया , " मुझे लगता है की वक्त के साथ सब कमजोर पड़ जाते है और अपनों को भूल जाते है ।"
अंकित , " ऐसा नहीं है ।"
अनन्या , " ऐसा ही है ।"
अंकित , " अच्छा ठीक है ।"
अनन्या का जन्मदिन आने वाला था । अनन्या को ज्यादा ख़ुशी नही मिलती थी अपने जन्मदिन पर । वो बेमन से अपना जन्मदिन मना लेती थी ।
लेकिन ऐसा पहले नही था । पहले अनन्या ऐसी नही थी । वो अपने जन्मदिवस पर बहुत खुश होती थी । हमेशा औरों की तरह ही अपना जन्मदिन मनाती थी । तो फिर ऐसा क्या हुआ था । जो वो अब अपना जन्मदिन मनाने से बचती थी ।
अनन्या का जन्मदिन वाला दिन -
अनन्या को उस दिन मैसेज पे मैसेज आ रहे थे । कभी फ़ोन तो कभी बधाई वाला मैसेज । अनन्या इन सब में ही उलझ गयी ।
पर कहते है न की पुराना वक्त अपना साया अच्छे दिन पर बिछा ही देता है । अनन्या कमजोर पडती जा रही थी । उसे मजबूरन अंकित का सहारा लेना पड़ा ।
अनन्या ने अंकित को मैसेज किया , " हेलो अंकित ।"
उसने कुछ सोचा ना समझा सीधा मैसेज कर दिया ।
"अंकित क्या तुम मेरी बेस्ट फ्रेंड बनोगे ?"
अंकित, " क्या हुआ सब ठीक है ।"
अनन्या, " हां , ठीक है तुम बस जवाब दो ।"
अंकित , " हां , जरूर बनूंगा । यह भी कोई पूछने वाली बात है ।"
पहले अजनबी थे । लेकिन अब वह दोनों दोस्त बन गए थे । लेकिन कुछ तो ऐसा हुआ था जो अनन्या को मजबूर कर रहा था कि वह अंकित को अपना दोस्त बनाए लेकिन ऐसा क्या था ?
अनन्या अक्सर सोशल मीडिया पर सक्रिय रहा करती थी । शुरू से उसे सोशल मीडिया पसंद था । एक दिन अनन्या फेसबुक पर अपने दोस्त को मैसेज कर रही थी , " हेलो , अंकित कैसे हो ? कोई काम था ? तुमने मुझे पहले भी मैसेज किया था । मैं तुम्हें जवाब नहीं दे पाई । मैं व्यस्त थी , उसके लिए माफ करना ।"
अंकित ने जवाब दिया , " हाय ! मैं बस यही पूछ रहा था कि आप कैसे हैं ?"
अनन्या , " मैं तो बिल्कुल ठीक हूं । अच्छा तुमने फाइल बना ली ?"
अंकित , " माफ करना ! लेकिन , कौन सी फाइल ?"
अनन्या , " नर्सिंग वाली फाइल । पेपर आने वाले हैं और ऐसे बोल रहे हो जैसे कुछ पता ही नहीं है ।"
अंकित , " कौन सी नर्सिंग ? अच्छा यह सब छोड़िए आप मुझे यह बताइए आप कहां से हैं ?"
अनन्या , " मैं जयपुर में रहती हूं ।"
अंकित , " अच्छा ठीक है ।"
अनन्या , " तुम भी तो जयपुर के ही हो !"
अंकित , " नहीं मैं जयपुर में नहीं रहता । किसने कहा मैं जयपुर का हूं ? मैं तो अबोहर में रहता हूं ।"
अनन्या , " तुम नर्सिंग नहीं करते , तुम जयपुर में भी नहीं रहते । क्या तुम मुझसे झूठ बोल रहे हो । एक बात बताओ , तुम कक्षा में तो इतनी बात नहीं करते । अब मुझसे इतना बोल रहे हो ।"
अंकित , " मैं आपकी कक्षा में नहीं पढ़ता ,तो मैं आपसे बोल कैसे सकता हूं ?"
अनन्या कुछ देर सब सोचती है । उसके दिमाग में यह सब चलता है कि यह ना ही नर्सिंग करता है , ना ही जयपुर में रहता है , ना ही मेरी कक्षा का है । कहीं मुझसे कोई गलती तो नहीं हो गई । अनन्या एकाएक अंकित की फोटो देखती है । यह वह अंकित नहीं था जो उसकी कक्षा में पढ़ता था ।
अनन्या अब सब कुछ समझ चुकी थी । अनन्या अंकित को मैसेज करती है, " माफ करना ।"
अंकित , " अरे कोई बात नहीं । आप मुझे इतना बताइए कि क्या समझे ?"
अनन्या , " मतलब की मैं तुम्हे अपनी क्लास वाला अंकित समझ रही थी । मैं नर्सिंग कर रही हूँ और कॉलेज में पढती हूँ । वहां मेरे साथ क्लास में अंकित नाम का भी लडका पढ़ता है । वो मुझसे ज्यादा बात नही करता । इसीलिए मैंने आपसे पूछा की तुम मुझसे क्लास में तो बात नही करते ।"
अंकित , " अच्छा ऐसी बात है क्या ? ओह ! ये अच्छा हुआ उसकी वजह से मुझसे आपने बात तो की । वरना मैं तो आपको मेसेज कर - कर के थक गया था । लेकिन आपने तो जवाब ही अभी दिया है और वो भी ग़लतफहमी में ।"
अनन्या , " हाँ , आप सही कह रहे है । क्योंकी.... मैं अजनबी से बात नही करती ।"
अंकित , " अच्छा ऐसा क्या ? चलो अब तो मैं आपके लिए अजनबी नही रहा । अब तो आप ने मुझे जान ही लिया ।"
अनन्या , " अभी कहाँ जान लिया ?"
अंकित , " और कितना जानेगी मुझे ? आपने मेरा नाम - पता तो जान लिया और क्या जानना है ? बताइए , हम अभी आपको बता देते है ।"
अनन्या , " क्या किसी इंसान को अपना बनाने के लिए उसका नाम पता जनाना ही मात्र होता है और किसी विषय में जानना जरूरी नही होता ।"
अंकित , " बड़ी दिलचस्प बातें करती है आप ।"
अनन्या , " तो .........।"
अंकित , " देखिये आप मुझे गलत समझ रही है । मेरा वो मतलब नही था ।"
अनन्या , " ठीक है । अब मेरे सोने का वक्त हो गया है इसीलिए शुभ रात्रि ।"
अंकित , " फिर कब बात होगी आपसे ?"
अनन्या , " इतनी भी क्या जल्दी है ?"
अंकित , " कुछ ऐसा ही समझ लीजिये की मुझे जल्दी है ।"
अनन्या , " ठीक है कल ...कल ।"
अंकित , " मैं इंतज़ार करूंगा आपका ।"
अनन्या , " चलती हूँ ।"
इतना कहकर अनन्या अपना फेसबुक अकाउंट बंद कर देती है और सो जाती है । वहां अंकित भी सो जाता है ।
अगली सुबह-
अनन्या अपना काम काज खत्म करके पढ़ने बैठ जाती है । तभी अचानक उसे रात वाला अजनबी याद आता है । वो अपना फेसबुक अकाउंट खोलती है और अंकित का मेसेज देखने लगती है ।
"सुप्रभात" अंकित का मेसेज आया होता है ।
अनन्या खुश होकर उसे जवाब में "नमस्ते" भेज देती है ।
अंकित , " कैसे हो आप ?"
अनन्या , " अरे क्या बात है ? आप तो तुरंत जवाब देने वालो में से निकले ।"
अंकित , " आपको अच्छा लगा क्या कि मैंने आपको तुरंत जवाब दिया ?"
अनन्या , " हाँ मुझे अच्छा लगा।"
अंकित , " ये हुई ना बात ।"
उनके बीच काफी देर तक ऐसे ही बातें चलती रही । कभी अनन्या अपने कॉलेज के बारे में बताती तो कभी अंकित उसे अपने अबहोर के बारे में बताता ।
अंकित , " अनन्या.... क्या तुम मेरी दोस्त बनोगी ?"
अनन्या , " मैं सबकी दोस्त हूँ । इसमें पूछने वाली कोन सी बात है ?"
अंकित , " बात है । तभी तो पूछ रहा हूँ ।"
अनन्या , " अच्छा ठीक है ।"
अंकित , " तो आज से अपने बेस्ट फ्रेंड।"
अनन्या , " एक मिनट , मैंने बेस्ट फ्रेंड का कब बोला ।"
अंकित , " अभी तो बोला अच्छा ठीक है।"
अनन्या , " हाँ, मैंने बोला ! लेकिन.... मैंने सिर्फ दोस्ती का बोला । न की बेस्ट फ्रेंड का ।"
अंकित , " लेकिन , मैं तो बेस्ट फ्रेंड का पूछ रहा था ।"
अनन्या , " मुझे पता नही था । आपको साफ़ - साफ़ बोलना चाहिए था ।"
अंकित , " अच्छा तो ठीक है !अब बोल दिया न मैंने ।"
अनन्या, " मेरा जवाब लेकिन ना है ।"
अंकित , " लेकिन क्यों ?"
अनन्या , " क्योंकि मैं बेस्ट फ्रेंड्स मे विश्वास नही करती । मुझे ये रिश्ता पसंद नहीं । दुनिया में कोई अपना नही होता । सब अपने मतलब के लिए ही होते है ।"
अंकित , " ऐसा नहीं है ?"
अनन्या , " ऐसा ही है ।"
अंकिता , " चलो ये आपकी सोच है ।"
अनन्या , " हाँ !"
अनन्या और अंकित रोजाना ढेरो बातें करने लगे । अनन्या को अंकित पर थोडा ही सही मगर भरोसा होने लगा ।
उसे अंकित का बात करने का अंदाज अच्छा लगने लगा । धीरे - धीरे उनकी दोस्ती बढ़ने लगी ।
ये इसीलिए हो रहा था क्योंकि अनन्या ये सब होने दे रही थी । अब अनन्या क्या सोचती है और क्या चाहती है ये कोई नहीं जान सकता । कुछ वक्त उसके बात करने के बाद अनन्या उसे भूल जाया करती थी । बस उसका सफ़र फेसबुक तक ही सिमित रहा ।
अनन्या थी तो खुले विचारों की लेकिन वो क्या कब छुपा जाये किसी को पता नहीं चल पाता था । अब करे क्या अनन्या है ही ऐसी! लेकिन कुछ तो था जो वो सब से छुपा रही है । कुछ तो है जो वो बताना नही चाह रही थी । खैर जो भी है , आपको धीरे - धीरे सब पता चल जायेगा ।
एक दिन ऐसे ही अनन्या और अंकित बातें कर रहे थे । तभी एकाएक अनन्या ने अंकित से पूछा , " क्या तुम अब भी मुझे अपनी दोस्ती के लायाक समझते हो ।"
अंकित ने जवाब दिया , " हाँ , लेकिन तुम क्यों पूछ रही हो ?"
तब अनन्या ने थोडा सोच कर जवाब दिया , " मुझे लगता है की वक्त के साथ सब कमजोर पड़ जाते है और अपनों को भूल जाते है ।"
अंकित , " ऐसा नहीं है ।"
अनन्या , " ऐसा ही है ।"
अंकित , " अच्छा ठीक है ।"
अनन्या का जन्मदिन आने वाला था । अनन्या को ज्यादा ख़ुशी नही मिलती थी अपने जन्मदिन पर । वो बेमन से अपना जन्मदिन मना लेती थी ।
लेकिन ऐसा पहले नही था । पहले अनन्या ऐसी नही थी । वो अपने जन्मदिवस पर बहुत खुश होती थी । हमेशा औरों की तरह ही अपना जन्मदिन मनाती थी । तो फिर ऐसा क्या हुआ था । जो वो अब अपना जन्मदिन मनाने से बचती थी ।
अनन्या का जन्मदिन वाला दिन -
अनन्या को उस दिन मैसेज पे मैसेज आ रहे थे । कभी फ़ोन तो कभी बधाई वाला मैसेज । अनन्या इन सब में ही उलझ गयी ।
पर कहते है न की पुराना वक्त अपना साया अच्छे दिन पर बिछा ही देता है । अनन्या कमजोर पडती जा रही थी । उसे मजबूरन अंकित का सहारा लेना पड़ा ।
अनन्या ने अंकित को मैसेज किया , " हेलो अंकित ।"
उसने कुछ सोचा ना समझा सीधा मैसेज कर दिया ।
"अंकित क्या तुम मेरी बेस्ट फ्रेंड बनोगे ?"
अंकित, " क्या हुआ सब ठीक है ।"
अनन्या, " हां , ठीक है तुम बस जवाब दो ।"
अंकित , " हां , जरूर बनूंगा । यह भी कोई पूछने वाली बात है ।"
पहले अजनबी थे । लेकिन अब वह दोनों दोस्त बन गए थे । लेकिन कुछ तो ऐसा हुआ था जो अनन्या को मजबूर कर रहा था कि वह अंकित को अपना दोस्त बनाए लेकिन ऐसा क्या था ?