प्रकृति और पेड़
जेठ की गर्मी जहाँ पेड़ों के पत्ते गिर जाते हैं। जब सुबह से ही सूरज आग बरसाना आरंभ कर देता है ।गर्मी के यह तीन चार महीने इन पेड़ों के लिए किसी सालों से कम नहीं होते हैं। आप स्वयं सोचिए जब इस गर्मी में आपका गला सूखता है ।और लगता है कि कहीं ठंडा पानी मिल जाए, तो जान -में -जान आ जाए ,इस भीषण गर्मी में यह पेड़ बस खड़े रहते हैं ।इनको पानी की बूंद तक नसीब नहीं होती है ।कभी सोचा है आप सब ने इन पेड़ो का क्या हाल होता है । शायद नहीं है क्युकि यह तो मानवीय प्रकृति है। कि वह स्वयं के बारे में ही सोचता है। तो इन पेड़ो के बारे में क्यु सोचेगा, यह प्रकृति ही है जो...