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कुछ खट्टे मीठे पल part-(03)
उम्र ग्यारह साल नई जगह नया माहौल वो अपनी मम्मी के पास नोएडा आ गई वहां सबकुछ अलग अनजाना- सा धीरे धीरे पर सब ठीक हो गया सब फ्रेंड्स बने उनमें कभी लड़ाई कभी फ़िक्र सब चलता रहा।
पर वहां से जो फ्रैंड्स बने लाइफ टाइम के हर मुश्किल में साथ देने वाले जब हमारा लंच होता तो बहुत मस्ती करते । अगर कभी एक खाना नहीं खाता तो उसे मनाते और अपने हाथों से खिलाते पूरी क्लास में हमारी फ्रेंडशिप फेमस थी। सबसे अलग बैठते सबसे अलग सोचते एसा लगता मानो जैसे जीने कि एक न्यी वजह हो ।और साथ में हमारी उन आंखो में पल रहे वो नन्हे से सपने और हमारा हौसला मजबूत कर देते।
फिर एक दिन हमसे गलती हो गई अनजाने में मानो भूल थी। दिन २५ जनवरी को हम प्रयेर कर रहे थे अचानक नेशनल एंथम के टाइम पर हममें से कोई हस्ता है पर वो जस्ट स्माइल थी। इतने में हमारे टीचर्स ने हम पूरे ईयर प्राथना नहीं करेंगे और दूसरी उस दिन हमें बहुत बेइजत्त फील कराया। अगले दिन हम आते है क्योंकि 26 जनवरी थी तो हमे तो जाना ही नी था इसलिए हम आराम से फ्री थे पर दुखी भी थे साथ में । इतने में हमारे पेरेयर कराने वाले सर आए और हमे कहते है की हमे प्रेयर करनी होगी हम नहीं जाना चाहते थे पर अपनी क्लास टीचर के कहने पर हम बे मन के चले गए वहां हम जैसे ही जाते है सेकंड ही गुजरते है हमे हमारे प्रधानाचार्य जी वहां से हटा देते हैं पतानी क्या क्या बोलते है । हम चुप चा प वहां से चले जाते है उस टाइम पर हमारे आंखो से आंसू निकलने ही होते हैं पर हम उन्हें रोक लेते हैं क्योंकि सबके सामने रोते नी है ना। क्लास में आते है और बैंच पर सिर रखकर रोने लगते है इतने में वही सर आते है जिन्होंने हम बोला था और हमसे माफी मांगते हैं और गाना गाते हुए खुद भी बहुत रोते है । कुछ दिन ऐसे ही बीते फिर बाद में नॉर्मल हो गया। पर उस टाइम पर हमने फील किया कि अगर फ्रैंड्स साथ हो तो कोई प्रॉब्लम बिग नहीं होती बस निभाना साथ साथ हो । आप सबको आई थिंक छोटी लग रही हो पर उस टाइम पर हमारे लिए बहुत आई मीन उस लड़की के लिए बहुत बड़ी थी कि जिस स्कूल में वो चारों अपनी इंटेलिजेंस के लिए फेमस थे आज इतने लाचार टाइप है। सब जाते थे तो बुरा लगता था पर हमने उस वक़्त को फेस कर हराया और एकता को जिताया।

(सो फ्रैंड्स में आप सब से थी कहना चाऊंगी कि अगर फ्रैंड् शीप आप लेते हो तो मन से निभाए ये नहीं होना चहिए की एक कि गलती थी तो वहीं भुगते बल्कि परेशानियों को बटकर हल कीजिए।)
© jindgi ki dasta vhi , jha rasta nhi