...

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शीशे में कैद
जब तक ये जाना की तुम मेरी और मैं तुम्हारा हू इस दूरी का अंजदा भी ना था की इस खुले
आसमा में हम किसी शीशे की दीवार में कैद है

शीशे में दिखती तो हो पर दीवार तो है
उसके पीछे से मुस्काती पर पहरेदार
तो है
कितना आसान लगता है की तुम कितने
पास हो सब कुछ दिखता साफ साफ है
पर शीशे की ही सही दीवार तो...