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दुल्हन का बाग
हमारे घर शादी पड़ी थी हम सब लोग शादी मे शामिल होने गाँव गये क्योंकि शादी गाँव के घर से होने वाली थी।
हम लोग गाँव पहुंचकर बहुत खुश थे।सबसे मिलकर बहुत खुशी हुयी।गाँव का माहौल ही अलग होता है वहाँ किसी को अकेलापन महसुस नही होता है ।अक्सर सब एक साथ ही रहते हैं।
हमसब घर पहुंचकर सबसे मिलकर बहुत खुश थे। हमारी दादी सब खैर-खबर ली और बोली अच्छा हुआ सब लोग समय से आ गये ज्यादा रात नही हुयी इतना कहकर चुप हो गयी ।भाई बोला दादी अगर ज्यादा रात हेती तो क्या होता भाई दादी को चिढ़ाने के अंदाज मे बोला क्या रास्ते मे हम सबको भूत पकड़ लेता।दादी बोली ये मजाक नाही है दुल्हन के बाग के रास्ते आये हो न इसीलिये कह रही हुं।भाई बोला दादी जब हमलोग आते हैं आप एकही बात हमेशा करती हो दुल्हन के बाग का ।आज हमे बताओ कौन दुल्हन किसकी बाग....।
दादी ऐसे अपने चेहरे पर भाव लायीं जैसे वह बहुत दुखी है और डर रही हैं।फिर थोड़ी देर बाद दादी किस्सा सुनाना सुरु की।।
बगल ही के गाँव मे शादी थी ये बहुत समय पहले की बात है दादी बोली रुककर फिर आगे बताना सुरु की बोली शादी बड़े धुमधाम से हुयी दुल्हन की बिदायी हो गयी डोली मे दादी फिर समझाने लगी बहुत पहले बिदायी डोली मे ही होती थी।समझाकर फिर कहानी बताने लगीं बोली जब दुल्हन की बिदायी हुयी उससे पहले उसी डोली मे साँप जाकर बैठ गया था उसी डोली मे दुल्हन को बैठा दिये सब और कहाँर डोली लेकर चल दिये।डोली मे जो साँप था वह दुल्हन को काट लिया दुल्हन शर्म की वजह से कुछ बोल नही पायी और डोली के अन्दर ही मर गयी कहाँरों को कुछ पता ही ना चला वो वैसे ही चलते रहे।बहुत दुर पैदल चलने की वजह से वो थक गये थे उनको प्यास भी लगी थी वो आगे बढ़े उनको बाग दिखा और वहाँ कुआँ भी था।तो वो बाग मे आये डोली रख दिये जमीन पर और सोचे थोड़ा सुस्ता ले और पानी पी लें तब आगे बढ़ैं।उसमे से एक कहाँर बोला दुल्हन को भी प्यास लगी होगी उनसे भी पानी को पुछ लिया जाय तो सभी कहने लगे हाँ पुछ लो उनको भी पानी पीना होगा तो पी लेंगी।वो गया डोली के पास पुछा दुलहिन पानी पीना है हम सब पानी यहीं पीयेंगे फिर सीधे घर पहुंचायेंगे कहीं और नहीं रुकेंगे बोलो लाये पानी वो कई बार कहा लेकिन डोली मे से किसी की आवाज नही आयी अब तो वो सब परेशान हो गये ।उसमे से एक लोग बोले इतना परेशान होने से अच्छा है कि हम देख लें दुलहिन क्यों जवाब नही दे रही हैं इस बात पर सब सहमत हो गये और डोली का परदा हटा दिये तो क्या देखते हैं कि एक साँप डोली से निकलकर भाग रहा था साँप को देखकर वो घबरा गये और दुल्हन को देखे बिना ही बाग मे डोली छोड़कर कहाँर भाग गये।
दादी फिर बताने लगीं कि तब से आधी रात को जो कोई दुल्हन के बाग से गुजरता है दुल्हन भी भेष बदलकर उनके साथ चलने लगती है।
दादी यही बता रहींथीं कि तभी वहाँ पापा आ गये और बोले क्या अम्मा बच्चों को अफवाह सुनाकर डरा रही हो तुमलोग तो सच पर भी विश्वास नही करते कहकर दादी वहाँ से चली गयीं।
पापा मम्मी को कुछ सामान लेने शहर जाना था तो वो लोग चले गये लेकिन हमारे मन से दुल्हन के बाग की बात नहीं निकल रही थी।
रात को करीब साढ़े बारह बज रहा था मम्मी-पापा अभी तक आये नहीं यही सब सोच रही थी की तभी पापा की स्कूटर बाहर रुकी तो हम भी बाहर आ गये देखे पापा स्कूटर खड़ी कर रहे थे हम देखे तो मम्मी कहीं दिख नही रही थी पापा से पूछे पापा मम्मी कहा है तो पापा बोले आज तुम्हारी मम्मी बिना किसी वजह के नाराज हैं आते वक्त कुछ बात ही नही की कितना पूछे क्या हुआ कुछ नहीं बोली अभी घर मे गयी होंगी पूछो क्या हुआ है तभी मेरा भाई वहाँ आया बोला हर जगह देख लिये मम्मी कहीं नहींहैं।
पापा बोले अभी मेरे सामने घर के अन्दर गयी हैं कहकर पापा गुस्सा होने लगे की बिना किसी वजह के परेशान करके रख दी हैं तभी बाहर आटो आकर रुका उसमे से मम्मी खुब गुस्सा करते हुये उतर कर आयीं बोलीं एक जगह स्कूटर ठीक करने के लिये उतरे और हमे वहीं छोड़कर चले आय

......अब तो पापा को देखकर लगने लगा कि दुलहिन के बाग का यकीन पापा को हो गया........?
© Meri kalam se