...

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धड़कन
रंगों में दौड़ती लहू
तेरे रंग धड़कता है

कसूर धड़कनों का क्या
तुझमे रम धड़कता है

तुम्हारी बात जो चली
कभी मुहल्ले में
तो ये नहीं समझे
बेमौसम धड़कता है

सम्भाले से नहीं संभले
दनादन धड़कता है

रंगों में दौड़ती लहू
तेरे रंग धड़कता है

कसूर धड़कनों का क्या
तुझमें रम धडकता है।
© geetanjali