छुपे राज़
"साँप" उसने ज़ोर से चीखना चाहा तो धन्नाराम ने उसके मुँह पर हाथ रख दिया
"अरी बावली, मैं हूँ.. मुँह बंद रख अपना. हमारा गमछा है वो जिसे तू साँप समझ रही है."
"हे राम, संतो के बापू आज तो तूने डर से जान ही निकाल देनी थी. क्यूँ आया है इधर.. पुलिस कुत्तों के साथ तुझे खोजती फिर रही है.घर के दो चक्कर लगा चुकी है."
"मैं किसी से नहीं डरता हूँ.. बहुत भाग चुका हूँ अब और नहीं भागना है बिंदिया. "
" पागल हो गया है तू,जिन पुलिस वालों को दबंगों ने अपनी तरफ कर लिया हो तू उनसे लड़ेगा. हम सब मार दिये जाएँगे. मुकाबला करने का इतना ही शौक़ है तो पूरे सबूत के साथ सामने आ.
इससे पहले कि पुलिस के कुत्ते पुलिस वालों को लेकर तुझे ढूँढते हुए यहाँ आ जाएँ तू निकल जा जल्दी यहाँ से "बिंदिया ने उसे धकेलते हुए कहा
" ठीक है बिंदिया.. मैं जल्दी वापस आ जाऊँगा. मेरी संतो का ध्यान रखना. उसे अकेले कहीं मत जाने देना. "
" मैं सब सम्भाल लूँगी तू बस यहाँ से जा. सुन बहुत सर्दी है ये काला कंबल ओढ़कर निकल जा. "
" बिंदिया तू अपना भी ध्यान रखना. "
" हाँ "इससे आगे कुछ नहीं कह पायी गला रुंध गया था. उसे जाता नहीं देख पा रही थी.इतनी सर्दी में पता नहीं कहाँ कहाँ भटकता रहेगा.
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" दो चाय दे रे "
" अरे दरोगा जी आप.. इतनी ठंड में ड्यूटी चैन से नहीं बैठने देती है. पुलिस वालों की नौकरी बड़ी ही मुश्किल होती है. "
" अच्छा ज़्यादा .... मक्खनबाजी ना कर .. तेरी इस चाय की दुकान के सामने धन्नाराम का घर है नजर रखना उस घर पर कौन आता है? कौन जाता है?सेठ के पूरे पचास लाख लेकर भागा है.. हम भी देखते हैं कब तक भागेगा. "
" आप रामू के होते हुए फिक्र ना करें दरोगा साहब. समझो एक अपना मुखबिर आपने इस दुकान पर छोड़ा हुआ है."
"बातें बहुत बनाता है अगर कोई लापरवाही हुई तो सीधा जेल में डाल दूँगा. "
" कैसी बात करते हैं साहब.. आपसे से बैर लेके रामू यहाँ अपनी दुकान नहीं चला पायेगा. धन्नाराम के घर की तरफ से आप निश्चिंत रहें. "
________________________________
" बिंदिया ओ बिंदिया, संतोsss कोई है क्या? "
" अरे रामू कैसे आना हुआ? "
" बिंदिया, धन्नाराम पर पुलिस बहुत कड़ी नजर बनाये हुए है.. उसे संदेसा भिजवा दो अभी इस इलाके की तरफ बिलकुल ना आये. आज ही दरोगा ने मुझे तेरे घर पर नजर रखने को कहा है."
"ठीक है रामू, कल धन्नाराम यहाँ आया था. मैंने बता दिया है उसे."
" रामू ssssss, बिंदियाss ग़ज़ब हो गया.. धन्नाराम ने दरोगा जी के सामने आत्म समर्पण कर दिया है "धन्नाराम का पड़ोसी हरिया भागता हुआ आया
" हे भगवान.. ये धन्नाराम कभी किसी की नहीं सुनता है. "
बिंदिया अपना सिर पकड़कर ज़मीन पर बैठते हुए बोली
" अब कुछ नहीं हो सकता है बिंदिया.. सब खत्म...बिंदिया अब बता तू क्या करेगी, कैसे छुड़ायेगी धन्नाराम को.. कहाँ से ज़मानत का पैसा आयेगा.. ये तूने क्या किया रे धन्ना" बिंदिया को इस समय कुछ होश नहीं था.
" बिंदिया, सम्भाल अपने आप को. मैं हूँ ना तेरे पास. जब तक रामू है तुझे और संतो को किसी बात के लिये फिक्र करने की जरूरत नहीं है. मैं धन्नाराम की ज़मानत कराऊँगा "
______________________________
" बिंदियाsss ग़ज़ब हो गया .. पुलिस हिरासत में धन्नाराम की मौत हो गयी हो.उसे बहुत मारा पीटा गया है. पुलिस वालों ने उसकी लाश दिखाने से मना कर दिया है. सब एक मुँह होकर कह रहे हैं कि धन्नाराम हिरासत से भाग गया था भागते
समय वह ट्रक के नीचे आ गया.."
"धन्नारामsss तूने वापस आने का वादा किया था... "बिंदिया बड़ी मुश्किल से इतना ही कह पायी कि सदमे से बेहोश हो गयी थी.
" काकी, रामू जल्दी आओ, बिंदिया बेहोश हो गयी है."हरिया चिल्लाया
" क्या जाने भगवान भी कैसी कैसी परीक्षाएँ लेने लगते हैं. अच्छा खासा हँसता खेलता परिवार था पता नहीं किसकी नजर लग गयी. अभी थोड़ी देर में होश आ जायेगा. सदमा बहुत गहरा लगा है उसी कारण से बेहोश हो गयी है. "काकी बिंदिया को देखते हुए बोली
" चलो भाई, सब अपने घर को जाओ, अभी इसे भी आराम की जरूरत है..आओ कोशिश करते हैं कि...
"अरी बावली, मैं हूँ.. मुँह बंद रख अपना. हमारा गमछा है वो जिसे तू साँप समझ रही है."
"हे राम, संतो के बापू आज तो तूने डर से जान ही निकाल देनी थी. क्यूँ आया है इधर.. पुलिस कुत्तों के साथ तुझे खोजती फिर रही है.घर के दो चक्कर लगा चुकी है."
"मैं किसी से नहीं डरता हूँ.. बहुत भाग चुका हूँ अब और नहीं भागना है बिंदिया. "
" पागल हो गया है तू,जिन पुलिस वालों को दबंगों ने अपनी तरफ कर लिया हो तू उनसे लड़ेगा. हम सब मार दिये जाएँगे. मुकाबला करने का इतना ही शौक़ है तो पूरे सबूत के साथ सामने आ.
इससे पहले कि पुलिस के कुत्ते पुलिस वालों को लेकर तुझे ढूँढते हुए यहाँ आ जाएँ तू निकल जा जल्दी यहाँ से "बिंदिया ने उसे धकेलते हुए कहा
" ठीक है बिंदिया.. मैं जल्दी वापस आ जाऊँगा. मेरी संतो का ध्यान रखना. उसे अकेले कहीं मत जाने देना. "
" मैं सब सम्भाल लूँगी तू बस यहाँ से जा. सुन बहुत सर्दी है ये काला कंबल ओढ़कर निकल जा. "
" बिंदिया तू अपना भी ध्यान रखना. "
" हाँ "इससे आगे कुछ नहीं कह पायी गला रुंध गया था. उसे जाता नहीं देख पा रही थी.इतनी सर्दी में पता नहीं कहाँ कहाँ भटकता रहेगा.
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" दो चाय दे रे "
" अरे दरोगा जी आप.. इतनी ठंड में ड्यूटी चैन से नहीं बैठने देती है. पुलिस वालों की नौकरी बड़ी ही मुश्किल होती है. "
" अच्छा ज़्यादा .... मक्खनबाजी ना कर .. तेरी इस चाय की दुकान के सामने धन्नाराम का घर है नजर रखना उस घर पर कौन आता है? कौन जाता है?सेठ के पूरे पचास लाख लेकर भागा है.. हम भी देखते हैं कब तक भागेगा. "
" आप रामू के होते हुए फिक्र ना करें दरोगा साहब. समझो एक अपना मुखबिर आपने इस दुकान पर छोड़ा हुआ है."
"बातें बहुत बनाता है अगर कोई लापरवाही हुई तो सीधा जेल में डाल दूँगा. "
" कैसी बात करते हैं साहब.. आपसे से बैर लेके रामू यहाँ अपनी दुकान नहीं चला पायेगा. धन्नाराम के घर की तरफ से आप निश्चिंत रहें. "
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" बिंदिया ओ बिंदिया, संतोsss कोई है क्या? "
" अरे रामू कैसे आना हुआ? "
" बिंदिया, धन्नाराम पर पुलिस बहुत कड़ी नजर बनाये हुए है.. उसे संदेसा भिजवा दो अभी इस इलाके की तरफ बिलकुल ना आये. आज ही दरोगा ने मुझे तेरे घर पर नजर रखने को कहा है."
"ठीक है रामू, कल धन्नाराम यहाँ आया था. मैंने बता दिया है उसे."
" रामू ssssss, बिंदियाss ग़ज़ब हो गया.. धन्नाराम ने दरोगा जी के सामने आत्म समर्पण कर दिया है "धन्नाराम का पड़ोसी हरिया भागता हुआ आया
" हे भगवान.. ये धन्नाराम कभी किसी की नहीं सुनता है. "
बिंदिया अपना सिर पकड़कर ज़मीन पर बैठते हुए बोली
" अब कुछ नहीं हो सकता है बिंदिया.. सब खत्म...बिंदिया अब बता तू क्या करेगी, कैसे छुड़ायेगी धन्नाराम को.. कहाँ से ज़मानत का पैसा आयेगा.. ये तूने क्या किया रे धन्ना" बिंदिया को इस समय कुछ होश नहीं था.
" बिंदिया, सम्भाल अपने आप को. मैं हूँ ना तेरे पास. जब तक रामू है तुझे और संतो को किसी बात के लिये फिक्र करने की जरूरत नहीं है. मैं धन्नाराम की ज़मानत कराऊँगा "
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" बिंदियाsss ग़ज़ब हो गया .. पुलिस हिरासत में धन्नाराम की मौत हो गयी हो.उसे बहुत मारा पीटा गया है. पुलिस वालों ने उसकी लाश दिखाने से मना कर दिया है. सब एक मुँह होकर कह रहे हैं कि धन्नाराम हिरासत से भाग गया था भागते
समय वह ट्रक के नीचे आ गया.."
"धन्नारामsss तूने वापस आने का वादा किया था... "बिंदिया बड़ी मुश्किल से इतना ही कह पायी कि सदमे से बेहोश हो गयी थी.
" काकी, रामू जल्दी आओ, बिंदिया बेहोश हो गयी है."हरिया चिल्लाया
" क्या जाने भगवान भी कैसी कैसी परीक्षाएँ लेने लगते हैं. अच्छा खासा हँसता खेलता परिवार था पता नहीं किसकी नजर लग गयी. अभी थोड़ी देर में होश आ जायेगा. सदमा बहुत गहरा लगा है उसी कारण से बेहोश हो गयी है. "काकी बिंदिया को देखते हुए बोली
" चलो भाई, सब अपने घर को जाओ, अभी इसे भी आराम की जरूरत है..आओ कोशिश करते हैं कि...