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आत्म संगनी से मिले स्नेह के फलस्वरूप आज एक वर्ष के सुखद अंतराल
आत्म संगनी से मिले स्नेह के फलस्वरूप आज एक वर्ष के सुखद अंतराल में अब हमारे मध्य जिस अनूठे संबंध की स्थापना हुई वह अनंत काल तक अब समाप्त नही होने वाली।दिन प्रतिदिन मिले स्नेह समर्पण के कारण अब हमारे बीच ऐसी कोई राज़ बचा जिसे छिपाया जा सके।
अब उसका एक भी दिन मेरे बगैर जीना मुश्किल हो गया थी।हर रात उसकी मोहब्बत की बारिश से भीगा बदन ,पिघलता बदन ,अरमानों की बारात के साथ आती है और उसकी कसक ,उसका अहसास रात से सुबह तक और शाम से रात तक मुझे महसूस होता था।
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