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शिक्षा का प्रताप
शिक्षा का प्रताप

ए क बार समर्थ गुरु रामदास जी एक घर के द्वार पर खड़े होकर 'जय-जय श्री रघुवीर समर्थ' का उद्घोष किया। गृहिणी का अपने पति से कुछ देर पूर्व कुछ कहा-सुनी हुई थी, जिससे वह गुस्से में थी। बाहर आकर चिल्लाकर बोली- 'तुम लोगों को भीख मांगने के सिवा और कुछ दूसरा काम नहीं है? मुफ्त मिल जाता है, अतः चले...