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संक्रांति काल -पाषाण युग ७
दो मृत शिशु देख आहत हुआ जादौंग ,मगर साथ ही लज्जित भी हुआ अम्बी के दुःख से । शिशुओं को उसने देवता के सुपुर्द कर दिया ।

अब आगे--

जादौंग का अतीत

जादौंग के रहस्योद्घाटन से अम्बी कुछ हद तक संतुष्ट थी। सारकी नाम था उस औरत का ,जो जादौंग के पुरानी गुफा बस्ती के मुखिया की पसंदीदा मादा थी ..!  जादौंग कबीले का शक्तिशाली शिकारी था और उसके मजबूत कंधे व सुडोल देह की वजह से  कबीले की अधिकतर मादाएँ उसे अपना साथी चुनना चाहती थी ,पर जादौंग को बस सारकी ही पसंद थी ।

सारकी भी मन से जादौंग को ही चाहती पर मुखिया के अस्त्र का भय उन दोनों को निकट नहीं आने देता ....मुखिया देवता से वार्तालाप कर सकता था और देवता का भय दिखा कर पूरे कबीले को नियंत्रण में रखता। उसने देवता का फरमान बताकर सारकी को देवसेवा के लिए अपनी गुफा जिसे वो देवता के आने जाने का मार्ग बताता था उसमें नजरबंद कर रखा था। कबीले में कोई उसका विरोध नहीं कर सकता था ,क्योंकि सभी यही समझते थे कि देवता उसी की बात सुनता है।

उसदिन सारकी की चीखें जिन्हे मुखिया देवता के साथ के आनंद से निकली ध्वनि बताता था जादौंग के कानों में पड़ी ।जादौंग अपने भाई गौरांग के साथ शिकार पर निकला था और सारकी की चीख सुनकर मुखिया की गुफा की तरफ जाने को उद्दत हुआ , गौरांग उसे रोकना चाहता था । गौरांग को धकेलकर जादौंग मुखिया की उस गुफा में प्रवेश कर गया जहाँ कबीले के किसी पुरुष का आना निषेध कर रखा था मुखिया ने ।

गुफा में सारकी के हाथ और पैर बंधन मेंं थे और वह नंगी जमीन पर पड़ी.थी ,मुखिया उसकी देह से अजीबोगरीब खिलवाड़ कर रहा था।जादौंग उस दृश्य को देख कर देवता के भय से भयभीत तो हुआ मगर सारकी की याचना करती दृष्टि और तड़प को भी नहीं सह सका । उसने बिना कुछ सोचे मुखिया पर आक्रमण कर दिया ,और उसे जख्मी करके सारकी को वहाँ से निकाल लाया।

मुखिया ने देवता के अपमान का आरोप लगा कर उसे कबीले से निष्कासित कर दिया था ।देवता के क्रोध से डर कर कोई विरोध ना कर पाया । 

निष्कासित जादौंग अपनी गुफाबस्ती छोड़कर गहन वन्य क्षेत्र की ओर निकल गया।वह अपनी गुफाबस्ती का सर्वश्रेष्ठ शिकारी था,जिसने अकेले ही चार दाँतों वाले सिंह.और हाथियों का शिकार किया था।अपनी गुफा बस्ती की सीमा पर उपस्थित नदी को उसने विपरीत दिशा में तैरकर पार किया और गहन वन्य क्षेत्र में प्रवेश कर गया...जहाँ तक आने का साहस उसके कबीले के अन्य पुरुष नहीं कर सके थे।यहाँ से जादौंग ने अपने लिए आवास योग्य गुफा की तलाश शुरू कर दी। वह दिन रात जीवन के संघर्ष के साथ ही एक अनुकूल जगह भी तलाश रहा था तभी उसकी मुलाकात अम्बी से हुई और वो एक हो गए ।

सारकी के गर्भ में जादौंग के साथ की निशानी पल रही थी इसकी जानकारी नहीं थी उसे..पर चालाक मुखिया ताड़ चुका था। उसने सारकी को सबक सिखाने के लिए उसके गर्भ को देवता को समर्पित करने का आदेश कबीले को सुनाया ,पर सारकी जादौंग के भाई गौरांग की सहायता से जान बचाकर भाग निकली ...!

गौरांग को मुखिया की साजिश का पता चल गया था,उसने सभी से छिपाकर रातोंरात सारकी को वन्य क्षेत्र में पहुँचाया और उसकी सुरक्षा के लिए एक बड़े और घने पेड़ पर एक घौंसले नुमा घर तैयार किया। संतानोत्पत्ति तक सारकी वहीं छिपकर रही, गौरांग इस दौरान उसके लिए माँसादि का इंतजाम करता रहा। छः माह के बाद सारकी ने वन में दो जुड़वा लड़की को जन्म दिया , फिर कई साल तक वहीं पर अपने घौंसलेनुमा घर में रहती रही और जादौंग को तलाश करती रही।

जादौंग से वह दो रोज पहले ही मिली थी ।जादौंग के गुफा पर वापस ना आने का भी यही कारण था।अम्बी ने सारकी और उसकी बेटियों को उनके साथ रहने की अनुमति दे दी। मन में कई बार द्वेष भाव उत्पन्न हो जाता था पर शीघ्र ही समझ भी आ जाता था की द्वेष करने की वजह है ही नहीं...धीरे धीरे वे लोग आपस में एक दूसरे को परिवार मानने लग गए थे।अम्बी ने सारकी की बेटियों जारा और साना को अपनी बेटियों में ही शुमार कर लिया था ...और सारकी भी हर काम में पूरा हाथ ंबंटाती थी ।

जरूरतें और अविष्कार

ऐसे ही कई वर्ष गुजर गए । धीरे धीरे स्थितियाँ सामान्य हो  गई थी ,जादौंग का परिवार अब सुखी था।शुरुआत में परिवार बढ़ने से आवास के स्थान ,माँस व अन्य मूलभूत जरूरतों की पूर्ति में कमी पड़ने लगी ,पर कुछ बेहतरीन उपलब्धि या उन्नति व नई खोजों की मदद इस समस्या का कुछ ही दिनों में सटीक समाधान निकाल लिया गुफा मानव जादौंग के परिवार ने ।

सारकी ने गुफा में स्थान की कमी के निदान के लिए लकडी घास व लताओं,आदि केइस्तेमाल से छोटी आरामगाह का निर्माण करना सभी को सिखा दिया था।लड़कियों ने आराम के लिए चार पाँच मचाननुमा आरामगाह गुफा के आसपास तैयार कर ली थीं ।अब उनके पास रहने की जगह के लिए अधिक विकल्प थेऔर गुफा पर आश्रित रहना आवश्यक नहीं रहा ।

अम्बी ने सारकी की मदद से  पेड़ के तने को विशेष आकार में काट कर , शिकार व फलों के वाहन में पहिये लगा कर आवागमन औरसुगम कर लिया था।सारकी के पिछले सामाजिक जीवन का अनुभव यहाँ काम आया ।

साना ,जारा,नीमा,तार्षा और पीयू  पाँचों मादा संतान फल , कंदमूल और वनस्पति एकत्र करने अम्बी के साथ गाड़ी ले कर जाती और शाम तक उन्हे पूरा भर कर वापस लाती थीं । तार्षा ने तो पेड़ की लताओं की सहायता से एक झुला भी बना लिया था ,जिसपर झूलने के लिए बच्चे आपस मे झगड़ पड़ते थे ।

इसी तरह सभी लड़कों, जिनमें ओमन सबसे बड़ा था, को  शिकार के लिए जादौंग साथ ले जाता था और लड़कों ने भी अपने लिए अतिरिक्त पाँच छः छकडे तैयार कर लिए थे जिससे अच्छी मात्रा में अस्त्र साथ लेकर जाते और वापसी में काफी बड़ा शिकार भीआसानी से ले आते थे । बड़ा लाभ यह रहा की पहले जो हड्डियाँ और खालादि कई बार अनुपयोगी समझ छोड़ने पड़ते थे अब साथ ही आ जाते ।

खालों से पहनने योग्य वस्त्र तैयार करने में सारकी और जारा दोनों बहुत अभ्यस्त थे।पुरुष संतानों में ओमन , मीचेंग,व ओरांग  हड्डियों के इस्तेमाल से अस्त्र बनाना सीख गए थे अब वे बेहतर धारदार अस्त्र तैयार करने लग गए थे जो शिकार करने में बहुत कारगर सिद्ध होते थे ।

सबसे महत्वपूर्ण खोज रही कि, वे ऊँटों को पालने लगे ,यह ऊँट खच्चर के आकार के थे और छकड़े के साथ आदमी का वजन भी आसानी से खींच लेते थे । एक मादा व एक नर ऊँट जादौंग गहन वन से पकड़ लाया था । नर ऊँट को वजन खींचने के लिए काम में लेने लगे ,पर मादा ऊँट  छकड़े को नहीं खींचती थी जिससे जादौंग को लगा की वह अनुपयोगी सिद्ध हो रही है । जादौंग उसे माँस के लिए मारना चाहता था पर अम्बी ने उसे ऐसा नहीं करने दिया , दरअसल उसका प्रसव होने वाला था जिसका अम्बी को भान था ।

पहले तो जादौंग नाराज हुआ पर जब उसने शिशु ऊंट को जन्म दिया तब उसे बहुत खुशी हुई । एक दिन जादौंग को अम्बी ने एक स्वादिष्ट पेय दिया पीने के लिए जिसे पीकर उसे बेहद अच्छा महसूस हुआ , यह मादा ऊँट का दूध था जिसे अम्बी ने खोजा था ।

भोजन ,आवास आदि की समस्या का तो समाधान हो गया परन्तु एक नई समस्या उत्पन्न हो गई  वह थी परिवार में द्वेष भाव की उत्पत्ति ।

क्या है ये नयी समस्या...क्या आदिम युग का यह परिवार भी द्वेष और शत्रुता में पड़कर बिखर जाएगा या फिर एक नया अध्याय और कुछ नये सबक इनका इंतजार कर रहे हैं!! जानने के लिए जुड़े रहें, पढ़ते रहें - संक्रांति काल -पाषाण युग।
अगर आप वाकई कहानी को रुचि से पढ़ रहे हैं तो अपनी अनमोल समीक्षा द्वारा अवगत कराते रहें....लेखन का पारिश्रमिक आपके ये अमूल्य शब्द ही हैं, इनमें कंजूसी ना बरतें।
धन्यवाद
क्रमशः
© बदनाम कलमकार
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