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प्यार तेरा मेरा (part-2)
part -2

कहानी अब की
जिंदगी की गाड़ी कभी रुकती नहीं बस चलती जाती हैं मैंने बहुत सालों बाद अपनी गाड़ी एक पुरानी सड़क की ओर मोड़ दिया । उस जगह जहाँ मेरा पुरा बच्पन बिता, बहुत अच्छी और बुरी यादे है और इतने सालों बाद इस शेहर को देख कर वो सारी यादें ताजा हो रही हैं। ऐसा लग रहा है कि मानों जेसे किसी ने मुरझाए पौधों में पानी डाल दिया हो। यहाँ आने पर खुशी भी हो रही है और ग़म भी और उन सबसे ज़्यादा डर हैं क्योंकि मैंने किसी को ये बताया ही नहीं की मैं कोटि(एक जगह है) जा रही हूँ। और मुझे यहाँ कभी आना भी नहीं चाहिए था अगर मैं यहाँ आई तो......(इन बातो के बीच एक आवाज आई और मैं अपने खयालो से बाहर आई)
maam texi (वो एक driver की आवाज थी)

माया- oh.. finally मुझे एक texi मिली(बोल के रुक गई... मैंने देखा तो मैं हैरान रहे गई वो अभि रावत हैं मेरा school friend)....अभि तुम....

अभि- माया... तुम बड़े सालों के बाद, कहाँ थी और तुमने इतने सालों में मुझे contact क्यूँ नहीं किया। ( बीच में काटते हुए)

माया- आरे रुको रुको ज़रा ठीक से सास तो लेलो।इतने सवाल ! क्या यहाँ अतिथियों का welcome सवाल से किया जाता हैं क्या?

आभि- oh.... मैं भी ना तुम बेठो । मैं तुम्हारें लिए कुछ पीने केलिए ले आता हूँ।

ये बोल कर वो जल्दी से चला गया और मैं मना करती रहे गई।

आभि और मैं school से ही बहुत अच्छे दोस्त हैं ।आभि बहुत understanding, caring,intelligent person type का हैं कहा जाए तो सर्वगुणसंपन्न। वो मेरा खयाल एकदम बड़े भाई जैसा रखता था ।आभि ने सादी कर लिया है और उसका एक cute बच्चा है। ये मुझे उसके texi में लगी तस्वीर से पता चला।

वो हवा के तरह गया और तूफान के तरह आ भी गया

आभि- ये लो तुम्हारें लिए यहाँ की सब से ख़ास cold drink और तुम्हारी favorite ice cream. मैंने सारी ठंडी चीजे ही लाया है क्योंकि यहाँ गर्मी बहुत हैं।तुम्हें आराम मिले गा my little princess ।

माया- thank you my lord

अभि- you welcome.
( हम दोनों ही हँसने लगते हैं फिर मुझे याद आता हैं )

माया- और बोलो तुमने सादी कर ली तो तुम मुझे कब मिला रहे हो अपनी wife और बच्चे से।

अभि- जल्द ही (तस्वीर की ओर उँगली करते हुए ) ये देखो ये हैं मेरी wife इसका नाम रूही हैं और ये देखो मेरी बेटी है आरुषि हैं ये अभी 9 महीने की हैं। बहुत प्यारी हैं । अगर अभी तुम्हारी भी सादी हुई तो......(बोल कर रुक गया )sorry मैं तुम्हें hurt नहीं करना चाहता था। I'm really sorry.

माया- मैं एसे तो hurt नहीं हुई हूँ पर तुम्हारे बार बार sorry बोलने hurt से हो जाऊँ चलो car चलाओ वरना हम कल घर पहुँचे गे । (उसने कुछ बुरा भी नहीं कहा था पर दुःख तो होता हैं अगर उस दिन वो सब नहीं हुआ होता तो आज हम.... खैर छोड़ो)

हमने पूरे रास्ते इन सात साल के बारे में बात करते करते बीता दिया ।बातों के दोरान मुझे पता चला कि जिंदगी में आमिर लोग अपने आगे किसी भी चीज को जीतने नहीं देते। अभि एक software engineer है और ये इस field का king है पर उसे job से बस इसलिए निकाल दिया गया क्योंकि उसने बस अमीर खानदान के लड़के गलती को सामने लाया पर company उसे ही निकाल दिया गया। वो company इस city की सबसे famous companies में से एक है जिसके कारण से उसे दुसरे किसी companies में job नहीं मिला और इस शहर को छोड़ सकता। उसकी कोई गलती नहीं थी फिर भी उसे सज़ा मिली । ( माया का घर आ गया है।)
मैंने अभि को good bye किया और अपने यहाँ dinner पर आने को कहा। अभि ने भी हामी भरते हुए कहा जरूर वो कुछ ओर भी कहेना चाहता था पर उसका phone बज पाढ़ और उसे वहाँ से urgent में जाना पड़ा। और मैं अपने घर की जाने लगी । मैं जैसे जैसे अपने कदम आगे बढती मेरे आँखों में आसु भर गई।मेरे कदम रुक रुक कर आगे की ओर बढ़ रहे लगी।यादों की झलकियाँ आँखों के छापने लगी। दिल की धड़कन धीरे धीरे तेज़ होने लगी। इस घर में सब पहले जेसा है।घर के अंदर थोड़ा change हैं।

(माया घर को एसे देख रही थी जेसे सालों बाद किसी बिछड़े अपने से मिली हो। वो हर एक समान को धायन से देख रही हैं। तभी एक काँच की मूर्ति हाथ लगने से गिर कर टूट जाती है और उसकी आवज सुनकर उसे अचानक उसके सर मे तेज़ दर्द होने लगता है और उसे पिछली यादें याद आने लगता है उसके यादों में एक घटना कि झलक आती हैं उसे नजर आता है कि वो कार चला रही हैं उसकी माँ बगल वाले सीट पर बैठी है और वे लोग वो बहुत खुश हैं तभी अचानक से उसे एक तेज़ रोशनी नज़र आती हैं,उसे कुछ समझ में आये उससे पहले ही एक गाड़ी उनसे आकर टकरा जाता हैं । वो अपने हर तरफ सिर्फ खून ही खूना देखती हैं। ये सब याद कर के उसके सर का दर्द बढ़ जाता हैं और वो बेहोश हो जाती है। ये यादें उसकी माँ के साथ बिताए आखिरी और बुरी यादें हैं उस रात माया की माँ की मृत्यु हो जाती हैं।जिस कारण से माया को बहुत बड़ा सदमा लगता है और वो depression में चली जाती है। और बहुत कोशिशों के बाद वो ठीक हो रही होती है पर सबसे बड़ी बात ये है कि उसे उस का रात कुछ याद ही नहीं और जब उसे कुछ याद करने कि कोसिस करती या याद आती हैं तो उसकी हालत खराब हो जाती है। इसी कारण से उसके घर वाले उसे कहीं भी अकेले नहीं जाने देते है और उसके पीछे हमेसा एक bodyguard रेहता है जो हर खाबर माया के भाई को बातता हैं। पर इस बार माया सब को चकमा देकर घर छोड़ कर चली जाती हैं । पर इस बात की भनक माया के भाई को पता चल जाती है तो सेम को माया के पीछे जाने को कहते है। सेम माया के साथ साथ उसके भाई का बहुत अच्छा और पुराना दोस्त है जो माया का डॉक्टर भी हैं । डॉक्टर सयामराम सिंह और shot में सैम। सैम के नाम पर मत जाइए ये नाम सुन कर लगा होगा कि ये बहुत संत ,सुसील स्वभाव का लड़का होगा पर वो अपने नाम से बिलकुल उल्टा और अलग है। वो बहुत नटखट, मजाकिया और शैतान हैं पर दिल का बहुत अच्छा इंसान )
वो माया के भाई के कहने पर नहीं गया वो गया क्योकि उसे माया की फ़िकर हैं इसलिए उसके पीछे जाने को तेयार हुआ और जिस चीज का डर था वही हुआ। वो जब घर पहुँचकर माया को बेहोस और खून से लतपत देखा तो बहुत घबरा गया। माया के हाथों मे काँच के टुकड़े लगी थी। वो माया कुछ injection देता हैं फिर उठाकर सोफा में सुला देता हैं हाथों मैं भी बन्डेज लगा और फिर उसके होस मैं आने का wait करने लगा । माया को होस आने में साम से रात हो गई और वो जिसे हीे उठी चीखने लगी (माँ -माँ ) और बहुत तेज रोने लगी तब उसे सैम ने संत किया और उसे दावा दी। जब वो पूरी तरह से संत गई तो उसकी जम कर class ली गई।

सैम - ये और भी खतरनाक हो सकता था, तुम्हें पता भी है।अभी सिर्फ तुम्हारे हाथ में हल्की सी चोट लगा है इससे जादा भी कुछ हो सकता था। एक छोटी सी लडा़ई क्या हुई maam ने तो घर ही छोड़ दिया तुमने एक बार भी हमारे बारे में नहीं सोचा, uff गुस्सा तो तुम्हारा हमेसा नाक में रहता है। तुमने मुझे एक बार भी बताना सही समझा वो तो airport में किसी ने तुम्हे देख लिया और तुम्हारे भाई को बता दिया वरना हमे तो पता ही नहीं चलता। तुम्हें पता है हम सब कितना परेशान हो रहे थे।
(बात को बीच में काटते हुए)
माया- क्या वो भी परेशान हुई.....(इस सवाल के बाद एक संति सी होगई पुरे घर में और थोड़े देर बाद फिर माया ने कहा) छोड़ो भी अब मैं कोई बच्ची नहीं हुँ और मैं अभी तो जागी हुँ। तुम तो मुझे भाई से भी ज़दा डाट रहे हो। (सैम जब उसे गुस्से वाले नज़र से उसे घूरने लगा)अच्छा बाबा I am sorry. मैं अगली बार से कभी भी बिना बोले कहीं नहीं जाऊंगी promise.(बड़े ही मासूमियत ढंग से) सेम...... sorry न I am soo sorry....(पर सैम का गुस्सा वाला नज़र ठीक होने का नाम ही नहीं लेता ) सेम सुनो ना sorry, ohh इतना sorry बोल के तो मुझे भूख लगी है, मैंने दिन भर से कुछ नहीं खाया है।देखो मेरा सकल भी सफेद होने लगा हैं....(उसकी इतनी मासूम हरकत देख कर सेम का मन पिघल जाता है और कहता हैं ठीक हैं बस बंद करो ये नाटक अब तो तुम लोगों का फिदा भी उठाने लगी हो रुको कुछ लाता हूँ और मुस्कराते हुए खाना लाने चलाने जाता हैं। )खाना खाने के बाद वे बालकनी में खड़े होकर इधर उधर की बातें कर रहे थे तभी उसने देखा कि उसका पड़ोसी अमन हैं। ..........
आगे की कहानी अगले part में


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© MMM