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क्या खोया, क्या पाया (मेरी पहली कहानी)
हमारे यहाँ पूर्वी यूपी में एक कहावत बहुत प्रचलित है "मुट्ठी बान्ह के आए हैं, हाथ पसार के जाएँगे। " ये जीवन की नश्वरता और क्षण भंगुरता को दर्शाती है, साथ-साथ ये भी बहुत सुन्दर तरीके से बताती है कि ना तो हम कुछ साथ लेकर आए हैं,ना ही कुछ लेकर जाएंगे, चाहें तब भी नहीं! अरे जब अपना शरीर भी अपना नहीं होता, उसे भी छोड़कर जाना पड़ता है, तो और की तो बात रही!

पर पापी मन जो ना करवाये उसके हाथों मजबूर इंसान से!...