ताल्लुक ( रिश्ता बैचैनियो से )
ताल्लुक नहीं रखते अब किसी से
अब किसी से कुछ बयां करने से भी डरते हैं
देखा है हमने दिलों कि बस्तियों को उड़ते
अब ख़्वाबो में भी आंसिया कहां देखते हैं
गुजरी है ज़िंदगी जिन राहों से
अब उन राहों पर सफ़र कहां करते...
अब किसी से कुछ बयां करने से भी डरते हैं
देखा है हमने दिलों कि बस्तियों को उड़ते
अब ख़्वाबो में भी आंसिया कहां देखते हैं
गुजरी है ज़िंदगी जिन राहों से
अब उन राहों पर सफ़र कहां करते...