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एक रिश्ता (भाग 3)
अमित के माता पिता और बाकी लोग फौरन अंदर गए और अर्चना को अमित के चंगुल से छुड़ाने लगे। अमित ने सबके सामने भी फिर वही बात बोली जो उसने अर्चना से कही थी, अमित के पिता ने उसको जोर से तमाचा मारा और उसको कमरे में बंद कर दिया।मालती के कपड़े कहीं कहीं से फ्ते हुए थे, उसकी सास ने उसको मेज पर पड़ी साड़ी में लपेटा और अपने कमरे ले गई। थोड़ी देर में सब लोग अपने अपने घर चले गए, रात भर वो लोग सो नहीं पाए।
अगले दिन उसका नशा उतरा तो उसको उसकी करतूत याद आई,किसी से नजरें मिलाने की उसकी हिम्मत नहीं थी पर कमरे से बाहर तो जाना ही था। शाम को वो कमरे के बाहर आया और सबसे माफी मांगने लगा।
"तुमने जो किया वो माफी के काबिल नहीं है फिर भी तुम्हे माफी चाहिए तो जाकर बहू से मांगो अगर वो माफ करदे तो हम भी कर देंगे।" पिता जी बोले।
"अर्चना सुबह ही अपने घर चली गई हमेशा के लिए। तुम्हारी बीबी होने के साथ साथ वो एक स्त्री भी है, और एक स्त्री के लिए उसकी इज्जत सबसे अधिक मायने रखती है। उसके घर वालों का फोन आया था और वो चाहते तलाक़ चाहते है और हम भी।" कहकर उसके माता पिता अपने कमरे में चले गए। अगली सुबह अमित अर्चना से मिलने उसके घर पर गया, दरवाजे पर ही अर्चना के पिता ने उसको तलाक़ के कागजात दिए और दस्तखत करने को बोला। अमित ने अर्चना की ओर देखा उसकी आंखो मे नाराजगी, गुस्सा, और पानी भरा हुआ था उसकी गलती माफी के लायक नहीं थी इसलिए उसने दस्तख़त कर दिए।
अमित ऐसा आदमी नहीं था पर फिर भी उसने जो किया वो एक अपराध था इसलिए सब उससे नाराज़ थे।
वो हर रोज ख़ुदको कोसता की वो खुदपर काबू क्यों ना पा सका, उसकी एक गलती के कारण सबकी खुशियांँ तबाह सी हो गई थी।वो अर्चना को अपने घर वापस लाना चाहता था, पर ये अब बहुत मुश्किल था। सबने उससे बात करनी बन्द कर रखी थी, करीब छह महीने बाद अमित अर्चना के घर उससे मिलने गया।
घर पर अर्चना का केवल भाई ही था उसने बताया कि उसके माता पिता अर्चना के लिए लड़का देख रहे थे वो अब शादी करना नहीं चाहती थी इसलिए मजबुर होकर वो घर छोड़कर चली गई कहाँ गई ये किसी को नहीं पता।
माँ से उसकी उदासी भी देखी नहीं गई उन्होंने उसे सुझाव दिया कि कुछ दिन अपनी मौसी के घर हो आए। माँ की बात मान अमित ने कुछ दिन की छुट्टियांँ ली और मौसी के घर चला गया।


© pooja gaur