दाढ़ी
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शीर्षक - दाढ़ी
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चार जुलाई को मेरा जन्मदिन आता है इस बार मेरा जन्मदिन बहुत ही खास था जिसका जिक्र मैंने जन्मदिन की पार्टी शीर्षक से जो रचना है उसमें बखूबी किया है, मैने उसी दिन एक संकल्प भी लिया था की एक अजनबी, जो अब खास बन चुका है उससे जब तक मुलाकात नही हो जाती तब तक दाढ़ी नही करवाऊंगा, ये एक ऐसा दिशाहीन संकल्प था जो शायद ही पूरा हो। पर मुझे खुद पर विश्वास था। इसलिए मैंने ये संकल्प बिना सोचे समझे ले लिया। शुरू में तो सब कुछ आसान था। लेकिन जैसे-जैसे दाढ़ी बढ़ रही थी। वैसे-वैसे मुश्किलें भी बढ़ रही थी। मुझ पर तरह-तरह की टिप्पणियां की जाने लगी। लोग...
शीर्षक - दाढ़ी
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चार जुलाई को मेरा जन्मदिन आता है इस बार मेरा जन्मदिन बहुत ही खास था जिसका जिक्र मैंने जन्मदिन की पार्टी शीर्षक से जो रचना है उसमें बखूबी किया है, मैने उसी दिन एक संकल्प भी लिया था की एक अजनबी, जो अब खास बन चुका है उससे जब तक मुलाकात नही हो जाती तब तक दाढ़ी नही करवाऊंगा, ये एक ऐसा दिशाहीन संकल्प था जो शायद ही पूरा हो। पर मुझे खुद पर विश्वास था। इसलिए मैंने ये संकल्प बिना सोचे समझे ले लिया। शुरू में तो सब कुछ आसान था। लेकिन जैसे-जैसे दाढ़ी बढ़ रही थी। वैसे-वैसे मुश्किलें भी बढ़ रही थी। मुझ पर तरह-तरह की टिप्पणियां की जाने लगी। लोग...