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बोलती है जब कलम ✒
बोलती है जब कलम , डोल उठता है सिंहासन
बड़े से बड़े तानाशाहों का टूट जाता है भ्रम ।।

चलती है जब कलम , करती है शस्त्रों का काम ।
तलवार जो कर ना पाए , कर देती है कलम ।।

कलम की स्याही जब झरति है ।
पीड़ितों की ताकत बन जाती है ।
असहायों के अश्रु पोछ रक्षक कहलाती है ।।

प्यार के गीत भी लिखती है , देशप्रेम का भाव भर देती है ।
सोए हुए को जाग्रत कर क्रांति की आग लगाती है ।।
शमशीर से तेज़ धारदार , छात्रों का भविष्य बनाती है ।
कहने को तो निर्जीव है , विचारों में जान डालती है ।।

दिखने में भले ही छोटा सा है , रखता है खुद में दम ।
वंचित वर्ग को अधिकार दिला , करती है देश निर्माण ।।

रुकती नहीं कलम , थकती नहीं कलम
अंधविश्वास के जड़ पर प्रहार करती कलम ।।

नव युग में नव उन्मेष जगाती कलम
वैज्ञानिक सोच का नीवं रखती कलम ।।

युद्ध के बीच शांति का वार्ता देती कलम ।
दुनिया को एक सूत्र में बांध सौहार्द सद्वाव बढ़ाती कलम ।।
© LABZ QUEEN

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