मन की शांति..... मिलेगी कहीं?
कल रात हमेशा के जैसे मैं अपने रूम में बैठी पढ़ाई कर रही थी ...या यू कहूं पढ़ने की कोशिश कर रही थी
कोशिश इसलिए पता नहीं क्यों काफी दिनों से मन परेशान है बिना कोई रीजन के और दिमाग यह कहता है कि नहीं पढ़ाई पर ध्यान दो ..बस इसी दिल और दिमाग की कसम- कस के बीच आंखें थी ,कि जो लगातार फोन में खुली किसी पीडीएफ को देखे जा रही थी और हाथ उसे लिखे जा रहे थे ...पर मैंने क्या लिखा मुझे खुद भी नहीं पता
इसी बीच कमरे में आशीष आया अपने चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान लिए हाथ में फोन लेकर पता नहीं क्या देख रहा था
आकर उसने मुझसे कहा दीदी मैं अपने लिए ऑनलाइन शॉपिंग कर...
कोशिश इसलिए पता नहीं क्यों काफी दिनों से मन परेशान है बिना कोई रीजन के और दिमाग यह कहता है कि नहीं पढ़ाई पर ध्यान दो ..बस इसी दिल और दिमाग की कसम- कस के बीच आंखें थी ,कि जो लगातार फोन में खुली किसी पीडीएफ को देखे जा रही थी और हाथ उसे लिखे जा रहे थे ...पर मैंने क्या लिखा मुझे खुद भी नहीं पता
इसी बीच कमरे में आशीष आया अपने चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान लिए हाथ में फोन लेकर पता नहीं क्या देख रहा था
आकर उसने मुझसे कहा दीदी मैं अपने लिए ऑनलाइन शॉपिंग कर...