...

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सोचना जरूर..
आज मन में एक ख्याल आया की हर इंसान अपने हिसाब से क्यों दुनिया को चलाना चाहता हैं। घर से ही देख लो घर में बड़े ही अपने हिसाब से घर को चलाते हैं उस घर में चाहे कितने ही समझदार लोग क्यों ना हो लेकिन बड़े घर के फैसलों को सब पर थोपते हैं।
खुद की पसंद से दूसरे को चलाते हैं ये एक हद तक ठीक होगा लेकिन हद से ज्यादा नहीं। कही बाहर जाये तो ये मुझे पसंद नहीं ये ऐसा नहीं होना चाहिए इस तरफ के लोग आपके आस पास भी होंगे। यहाँ तक की हम खुद के पसंद के गाने तो दूर फ़िल्म भी नहीं देख सकते ज़ब हम परिवार में रहते हैं। रिश्तेदारों की बात ही क्या कहें। दोस्तों की बात छोड़ ही दो अब.. ये सब देख कर लगता हैं की हम अकेले ही ठीक हैं जो पसंद हैं वो कर सकते हैं अपनी ज़िन्दगी को वैसे जी सकते हैं।
सोचकर बताइये क्या आपके साथ भी ये सब हुआ हैं।
© Niharik@ ki kalam se✍️