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प्यार तेरा मेरा (part-1)
part-1
क्या ये दुनिया गोल हैं?तो जवाब हैं हाँ क्योंकि जब हम अपने एक एक कदम आगे की ओर बढ़ते हैं तो चलते चलते वापस वही पहुँच जाते हैं जहाँ से शुरू किया हो और ऐसा होने का कारण भी हैं, हम इंशान अपनी गलतिया भूल जाते हैं और उन गलतियों दोहराते हैं सायद इन्ही गलतियों को याद दिलाने केलिए समय हमे वापस वहीं ले जाता हैं।

सात साल हो गए हैं।मैं यहाँ नहीं आना चाहती थी फिर भी मैं यहाँ हुँ।
हमें मिले बिना सात साल हो गया है और इन सात में तुमने एक बार भी मुझे ढूढ़ने कि कोशिश नहीं की। हाँ मैं मानती की हमारा रिश्ता टूट चुका है पर हमारे दिल की डोर तो नहीं।हम अलग हुए थे,हमारे बीच का प्यार नहीं। क्या दस साल का हमारा रिश्ता इतना कमजोर था कि एक गलतफ़हमी के कारण सब खत्म हो जाए। मैं मानती हूँ कि मैं नाराज़ थी गुस्से भी थी पर नफरत तो नहीं करती थी ना ,पर मैं गुस्सा क्यों नहीं करूं। मैं नहीं देख सकती तुम्हें किसी ओर औरत के साथ।तुम ऐसा कैसे कर सकते हो। सायद ये झूठ हो अगर तुम एक बार, बस एक बार आकर तुम मुझसे सच बोलकर कर के तो देखते। मुझे तुम पर विश्वास था की तुम कभी मुझे धोखा नहीं दोगे पर सायद तुम्हे नहीं था मुझ पर विश्वास। सायद इसलिए तुम नाही आए नाही तुमने मुझे जाने सें रोकने की कोशिश कि।मैं तो इतनी पागल थी की आखिरी वक्त तक तुम्हारा इन्तिज़ार करती रही और सोचती रही कि तुम आओगे और कहोगे माया मत जाओ मैं नहीं रहे सकता तुम्हारे बिना पर मैं गलत थी। मैं जब आज सोचती हुँ तो लगता है कि तुमने सही किया ना आकर अगर मैं रुकती तो तुम गलत हो जाते किसी के नहरों में जो मुझसे नहीं देखा जाता। थोड़ा समय लगा पर मैं समझ गई।खेर ये सब बीती बातें हैं।मुझे अब इन बातों से फर्क़ नहीं पड़ना चाहिए।
( माया के चेहरे पर एक तंग मुस्कान के साथ ये ख़याल आया कि अगर हम किसी चीज़ से भागने की कोशिश करते हैं तो वो उतना ही हमारा पीछा करता है। लो आज फिर मेरी किस्मत ने मुझे यहाँ आने के लिए मजबूर कर दिया)
सात...