बड़ी हवेली (कश़्मकश - 3)
तनवीर और अरुण की डर से हालत खराब हो गई थी, दोनों का चेहरा एक दम सुन सा पड़ गया था, डर ने मानो उन्हे जमा दिया हो।
उनसे उस लड़की के अंदर घुसी कमांडर की आत्मा ने कहा "गाड़ी चलाओ और बिना कोई होशियारी दिखाए फ़ार्म हाउस तक चलो", उस लड़की के चहरे पर क्रोध के भाव थे। अरुण ने गाड़ी स्टार्ट की और एक बार फिर से फ़ार्म हाउस के लिए गाड़ी चल पड़ी।
तनवीर थोड़ा साहस जुटा कर कमांडर से पूछता है "एक बात बताईये आप ने हम दोनों को ढूंढा कैसे और इतने सालों सबकी जान बख्श देने का असली मकसद क्या है, मुझे तो अपने 300 साल पहले के जन्म का कुछ भी याद नहीं, मैं इसी कश़्मकश में उलझ सा गया हूँ कि आप सच बोल रहे हैं या फिर इसके पीछे कोई और राज़ छुपा है जो आप मुझसे छुपा रहे हैं ", तनवीर अपनी बात ख़त्म कर के कमांडर की ओर देखता है।
लड़की जिसके अन्दर कमांडर की रूह थी उसने तनवीर की बाते सुन कर कहा" हमको पहले से पता था तुम इतना आसानी से यकीन नहीं करेगा, फिर भी हम तुमको पहले भी बोला था हम तुमको नुकसान नहीं पहुंचाने वाला जब तक हमारा मकसद पूरा नहीं होता और हमको तुम डॉक्टर ज़ाकिर से नहीं मिलवाता है, अगर तुम आज का दिन बर्बाद नहीं करता तो हमलोग एक साथ कानपुर की बड़ी हवेली के लिए निकल चुके होते", कमांडर ने तनवीर से ऐतराज जताते हुए तनवीर की ओर देखा, तनवीर ने एक पल को उस लड़की की रूहानी आँखो में देखा फ़िर तुरंत ही अरुण की ओर देखने लगा।
अरुण का चेहरा डर से सफ़ेद पड़ गया था ऐसा लग रहा था उसने अपनी सांसो को रोक रखा था, उसकी दयनीय हालत देखकर तनवीर ने उससे कहा "भाई लाओ अब गाड़ी मैं चलाता हूँ, तुम काफ़ी थक चुके होगे, कमांडर क्या गाड़ी मैं चला सकता हूँ", तनवीर ने बैक सीट पर बैठे कमांडर की रूह मतलब उस लड़की से पूछा।
कमांडर की रूह मान गई और अरुण ने...
उनसे उस लड़की के अंदर घुसी कमांडर की आत्मा ने कहा "गाड़ी चलाओ और बिना कोई होशियारी दिखाए फ़ार्म हाउस तक चलो", उस लड़की के चहरे पर क्रोध के भाव थे। अरुण ने गाड़ी स्टार्ट की और एक बार फिर से फ़ार्म हाउस के लिए गाड़ी चल पड़ी।
तनवीर थोड़ा साहस जुटा कर कमांडर से पूछता है "एक बात बताईये आप ने हम दोनों को ढूंढा कैसे और इतने सालों सबकी जान बख्श देने का असली मकसद क्या है, मुझे तो अपने 300 साल पहले के जन्म का कुछ भी याद नहीं, मैं इसी कश़्मकश में उलझ सा गया हूँ कि आप सच बोल रहे हैं या फिर इसके पीछे कोई और राज़ छुपा है जो आप मुझसे छुपा रहे हैं ", तनवीर अपनी बात ख़त्म कर के कमांडर की ओर देखता है।
लड़की जिसके अन्दर कमांडर की रूह थी उसने तनवीर की बाते सुन कर कहा" हमको पहले से पता था तुम इतना आसानी से यकीन नहीं करेगा, फिर भी हम तुमको पहले भी बोला था हम तुमको नुकसान नहीं पहुंचाने वाला जब तक हमारा मकसद पूरा नहीं होता और हमको तुम डॉक्टर ज़ाकिर से नहीं मिलवाता है, अगर तुम आज का दिन बर्बाद नहीं करता तो हमलोग एक साथ कानपुर की बड़ी हवेली के लिए निकल चुके होते", कमांडर ने तनवीर से ऐतराज जताते हुए तनवीर की ओर देखा, तनवीर ने एक पल को उस लड़की की रूहानी आँखो में देखा फ़िर तुरंत ही अरुण की ओर देखने लगा।
अरुण का चेहरा डर से सफ़ेद पड़ गया था ऐसा लग रहा था उसने अपनी सांसो को रोक रखा था, उसकी दयनीय हालत देखकर तनवीर ने उससे कहा "भाई लाओ अब गाड़ी मैं चलाता हूँ, तुम काफ़ी थक चुके होगे, कमांडर क्या गाड़ी मैं चला सकता हूँ", तनवीर ने बैक सीट पर बैठे कमांडर की रूह मतलब उस लड़की से पूछा।
कमांडर की रूह मान गई और अरुण ने...