...

1 views

मेंरी भावनाएं
हमें हमेशा उनके लिए खुश होना चाहिए जो हमें याद करते हैं बिना किसी स्वार्थ के। उनके लिए दुःखी नहीं होना चाहिए कि अरे वो क्यों नहीं याद किए आज ,जब कि उन्हें आप जानते हैं कि सब पता है फिर भी नहीं याद किया ,अक्सर इस बात को लेकर हम सोचने लगते हैं कि ऐसा क्यों किया उसने ?
किसी को भी आप इतना महत्व न दें जो आप की खुशी पर हावी हो।
अच्छे काम करें और खुश रहें।
रिश्ते में बराबरी नहीं की जाती । जहां बराबरी की बात आ गयी, तुलना होने लगी वहां रिश्ते खिंचते -खिंचते टूट ही जातें हैं। बिना किसी से कोई उम्मीद के
अपना जीवन जिएं क्यों कि उम्मीद इंसान को तोड़ देती है।
मैं कहीं न कहीं इस चीज को महसूस करती हूं और दुखी भी हो चुकी हूं।
इस लिए कहती हूं कि अब बस बहुत हुआ कोई उम्मीद नहीं ।

कवि श्री रविन्द्र नाथ टैगोर जी ने सही लिखा है कि "एकला चलो रे,,"

ज्योति मोहन।