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azadi se ek din pahla ka sach
इस समय पूरा मुल्क आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है देश को आजाद हुए कम से कम लगभग 74 वर्ष पूरे हो गए हैं 15 अगस्त 1947 को हमारा देश अंग्रेजी हुकूमत से आजाद हुआ था इस आजादी के लिए भारत को 200 साल का लंबा सफर तय करना पड़ा था भारत माता के न जाने कितने ही वीर सपूतों ने अपने देश को पराधीनता को बेड़ियों से आजाद कराने के लिए अपना सर न्यौछावर कर दिया था 14 अगस्त 1947 की रात भारत की आजादी का पैगाम लेकर आई थी एक और जहां आधी आबादी जश्न मना रही थी वही पंजाब और बंगाल जैसे राज्य दंगों की आग में झुलस रहे थे 14 अगस्त 1947 की रात को भारत के इतिहास में काली रात का दर्जा भी प्राप्त है क्योंकि यही वह दिन था जब अखंड भारत दो हिस्सों में बट गया था जहां हिंदू और मुस्लिम में भाई-भाई के नारे लगते थे और वही देश हिंदू और मुसलमान के नाम पर बैठ गया था 14 अगस्त की रात को और क्या क्या हुआ था कैसे भारत का विभाजन हुआ था क्यों महात्मा गांधी आजादी के जश्न में शामिल नहीं हुए थे एक ही दिन आजाद होने के बावजूद भी पाकिस्तान 14 अगस्त को ही क्यों अपना स्वतंत्रता दिवस मनाता है हम आपको बताएंगे कि 14 अगस्त की रात को ऐसा क्या हुआ था जिसने भारत का इतिहास बदल दिया था महात्मा गांधी के जंगे आंदोलन और सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज ने अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला कर रख दी अंग्रेज समझ गए थे कि अब ज्यादा समय तक भारत को गुलाम बनाकर नहीं रखा जा सकता फरवरी सन 1947 को ब्रिटेन द्वारा लॉर्ड माउंटबेटेंन को भारत का अंतिम वायसराय नियुक्त किया गया उन्हें यह जिम्मेदारी दी गई भारत जाकर उनको व्यवस्थित तरीके से देश को आजाद करना है अंग्रेजों की हमेशा से यही नीति रही है कि जिस भी देश को आजाद करते वहां के लोगों में फूट डालकर उसका विभाजन कर देते थे ऐसा ही अंग्रेजों ने भारत में भी किया भारत काफी लंबे समय तक हिंदू मुस्लिम सिख इसाई सभी धर्मों के लोग आपसी भाईचारे और प्रेम के साथ रहते थे सन 1905 बंगाल में अंग्रेजों ने डिवाइड एंड रूल का गंदा खेल खेला जो बाद में भारत और पाकिस्तान के विभाजन पर खत्म हुआ लॉर्ड माउंटबेटन भारत की आजादी के लिए 3 जून सन 1948 का दिन तय किया था लेकिन भारत की आजादी के साथ ही देश में बंटवारे की बात छिड़ गई जगह-जगह बंटवारे को लेकर दंगे होने लगे मोहम्मद अली जिन्ना देश के पहले प्रधानमंत्री बनना चाहते थे लेकिन महात्मा गांधी ने पंडित जवाहरलाल नेहरू को वचन दिया था कि उन्हें भारत का पहला प्रधानमंत्री बनायेंगे।जिसके बाद जिन्ना ने भारत बहुत बड़े हिस्से को पाकिस्तान के नाम से अलग देश बनाने की मांग उठा दी ।देश में हिंदू मुसलमानों को लेकर दंगे होने लगे इसका सबसे ज्यादा असर बंगाल पाकिस्तान पर हुआ लगातार बढ़ती हिंसा और दंगों के बीच लॉर्ड माउंटबेटन आजादी की तारीख 3 जून 1948 के बजाय 15 अगस्त सन 1947 ईस्वी कर दी गई 14 अगस्त की रात को दिल्ली में तेज बारिश हो रही थी लाखों की संख्या में लोग रायसीना हील पर इकट्ठा हो रहे थे रात लगभग 10:00 बजे जवाहरलाल नेहरू सरदार पटेल डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद वायसराय माउंट बेटेन सहित बड़े नेता वहा पहुंचे वह हर किसी की आंखों में आजादी की चमक नजर आ रही थी लोग जमकर जश्न मना रहे थे कितने लंबे संघर्ष के बाद आखिरकार उन्हें आजाद मिली। रात के 11:11 पर जवाहर लाल नेहरू ने अपना भाषण शुरू किया और उन्होंने कहा "Night at the stroke of the midnight hour when the world sleeps India will away to life and freedom "नेहरू जी की speech के बाद ठीक 12:00 बजे भारत आजाद हुआ साथ ही पहली बार बड़े शान से तिरंगा लहराया गया उसी रात भारत का विभाजन भी हुआ पाकिस्तान नाम का एक नया मुल्क बना। अगली सुबह प्रधानमंत्री ने शपथ ली और उनके साथ 14 मंत्री अन्य गोपनीयता ने भी शपथ ली लेकिन उस समय कोई भी राष्ट्रीय गान नहीं गाया गया था क्योंकि जन गण मन भले ही 1911 में लिखा गया लिखा जा चुका था लेकिन उसे राष्ट्रगान का दर्जा 1950 को मिला था 16 अगस्त को नेहरू और कैबिनेट ने लाल किले पर तिरंगा फहराया 17 अगस्त को 1520 के साथ पहली टीम अपने देश के लिए रवाना हुई अंग्रेजी 2 साल तक भारत को कितना ही लूटा हो तरह-तरह की जुल्म हम भारतीयों पर जाएं लेकिन अतिथि देवो भव की परंपरा हमारे खून में ही रही है सभी ब्रिटिश व को सम्मान के साथ विदा किया गया अब बात करते हैं कुछ तथ्यों की जैसे क्यों 15 अगस्त का दिन ही आजादी के लिए चुना गया यह दिन लॉर्ड माउंटबेटन ने चुना था क्योंकि इस दिन 1945 में जापान में एलाइड देशों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था उस समय लॉर्ड माउंटबेटन एलाइड देशों के कमांडर थे वही भारतीय ज्योतिष आचार्य ने कहा था। जो कि 15 अगस्त का दिन आजादी के लिए अच्छा नहीं है। लेकिन लॉर्ड माउंटबेटन भी वह दिन बदलने को तैयार नहीं था अंत में 14 अगस्त की रात समय 12:00 बजे आजादी के लिए तय किया गया । लेकिन इस जश्न में महात्मा गांधी शामिल नहीं हुए थे नेहरू जी सरदार पटेल ने गांधी जी को पत्र लिखकर कहा था कि जिस आजादी के लिए आपने इतने सालों से संघर्ष किया है बाकी का आज हमें मिल रही है और आप ही हमारा मार्गदर्शक करने के लिए यहां नहीं है असल बात यह है उस समय गांधी जी बंगाल में अनशन कर रहे थे वह हिंदू और मुसलमानों के बीच में हो रहे दंगों में काफी व्यतीत थे ।महात्मा गांधी ने कहा इतनी हिंसा के बाद जो आजादी मिल रही है इस आजादी की कल्पना मैंने नहीं की थी यह सत्ता के लालची लोगों द्वारा ली गई आजादी है जहां मेरे देश के दो भाई आपस में लड़ रहे हो और देश बट रहा हो वहां मैं किसी भी प्रकार का जश्न कैसे मना सकता हूं।