आत्म संगनी के दिल का तिल
आत्म संगनी के दिल पर तिल
अब मेरी आत्म संगनी मेरे लिए पराई नही थी,मीलों दूर रहकर मुझसे बिना मिले उसके और मेरे बीच ऐसे अटूट संबंध की स्थापना हो चुकी थी जिसकी गहराई समंदर से ज्यादा गहरी और आकाश से ज्यादा ऊंची...
अब मेरी आत्म संगनी मेरे लिए पराई नही थी,मीलों दूर रहकर मुझसे बिना मिले उसके और मेरे बीच ऐसे अटूट संबंध की स्थापना हो चुकी थी जिसकी गहराई समंदर से ज्यादा गहरी और आकाश से ज्यादा ऊंची...