...

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प्रयास यही हो हमारा

मैं मंदिर की सीढ़ियां चढ़ रहा था और एक जुलूस वहाँ
रुका मैंने सीढ़ियों से उतरते गोपालजी को देखा उनके हाथ में सीधे की थाली थी उनके घर पर सत्यनारायण भगवान की कथा का आयोजन होगा यही सोच मैं वही साइड में खड़ा हो गया ।

उन्होंने एक नज़र मुझको देखा मैंने भी विनत भाव से उन्हें देखा लेकिन उन्होंने देखकर मुँह फेर लिया वे साथ आए उनके किसी मेहमान से बाते करते हुए बढ़ गए ।

किसी ने मुझे बताया कि इनके छोटे बेटे प्रदीप की शादी है
मैंने सोचा कि समाजजन है घर पर बुलावा आएगा ही और
मैं अपनी रौ में बहता घर चला आया ।
घर पर प्रसाद लेने का बुलावा आया होगा घर पर भी कोई बुलावा नहीं...