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अध्याय 2: सोशल मीडिया से मुक्ति


25 वर्षीय अमित एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर है जो दिल्ली के एक कॉल डेटा सेंटर में काम करता है। वह अपनी 25वीं मंजिल वाली फ्लैट में रहता है। अपने काम और घर के कामों के अलावा अमित का ज्यादातर समय सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर में गुजर जाता है।

अमित हर रोज सुबह जब उठता है तो पहले अपने स्मार्टफोन पर ही नज़रें गड़ाए रहता है। वह अपने दोस्तों और एक्वेंटेंस की लेटेस्ट अपडेट्स, पोस्ट्स और स्टोरीज़ देखता रहता है। वह देखता है कि कौन कहां घूम रहा है, कौन क्या खा रहा है, कौन किससे मिल रहा है और कौन क्या कर रहा है।

अमित को लगने लगा है कि उसके सारे दोस्त उससे ज्यादा ज़िंदादिल और सक्रिय जीवन जी रहे हैं। वह बार-बार अपने दोस्तों की तस्वीरें देखता है और उनके साथ चल रहे मज़ेदार ट्रिप्स और पार्टियों से जलता है। वह सोचता है कि उसका जीवन इतना बोरिंग और रुटीन है।

अमित अपने फ़ोन पर बिताए गए समय पर कभी नज़र नहीं डालता। वह हर शाम अपने मोबाइल या लैपटॉप पर कम से कम 4-5 घंटे का समय गुजारता है। इस अत्यधिक सोशल मीडिया उपयोग से अमित उदास और एकाकी महसूस करने लगा है।

हाल ही में अमित ने खुद को नोटिस किया कि उसका काम भी प्रभावित हो रहा है। वह अपने ऑफिस में भी बहुत सारा समय मोबाइल पर बिताता है और काम की डेडलाइन पूरी नहीं कर पा रहा था। इससे उसके बॉस भी नाराज हो गए थे।

अमित के साथी कर्मचारियों ने भी उसके सोशल मीडिया एडिक्ट होने की बात उसके सामने रखी। वह देख सकता था कि उसके असल में कितने कम दोस्त बचे हैं जो उसे इस बारे में खुलकर कह सकते थे।