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work from home
Work from home

✍️चौधरी जी की बहू- बेटे होली में बच्चों के साथ दिल्ली से आए ; 6 महीने बीतने को हुए, पर........ "वर्क फ्रॉम होम" और बच्चों की "ऑनलाइन क्लास" ने चौधरी जी के बेटे को रोक लिया कि मा बाउजी के पास रहने का मौका भाग्य से मिलता हैं;सोच यही मिथिला की भूमि में रह लिए!

अब चौधरी जी की दिल्ली वाली बहू प्रतिदिन अपने राशिफल को देख रही है कब स्थान परिवर्तन का योग बने;

चौधराईन जो पूरे मोहल्ले अपने बेटे बहू की प्रशंसा करते थकती नहीं थी,आजकल पड़ोसियों को दिखती भी नहीं है। खैर पहले लोग सास से बहू के हाल चाल पूछते थे,आजकल बहुरानी से सास की तबीयत पूछी जाती हैं!
पड़ोसी आपस में काना फूसी भी करते -
"अरे उसकी बहू ही थी, हां!
नाइटी पहनी थी, अरे दुपट्टा भी नहीं था!
हाय राम !
कितनी बेशर्म हैं,बताओ ,सास इतनी बड़ाई इसी की करती थी,यकीन नहीं होता अरे एक महीने तक ठीक ही थी,असली रंग तो अब दिख रहे है!"
ऐसी बातें धीरे धीरे चौधराईन के कान तक पहुंची, अब वो अपना दर्द क्या बताएं;
और खुशी क्या छिपाए!
बेटा ,पोता के आने से घर को मानो ऑक्सीजन मिल गया हो,पर बहू ना तो कोई काम करें,अब तो बात भी नहीं करती,इससे चौधराईन की इमेज खराब हुए जा रही थी!
चौधराईन ने कितनी बार बेटे को समझाया
' देख बउआ , दरभंगा हैं, दिल्ली नहीं;
पर बेटे ने भी साफ कह दिया -
मां दो चार दिन की बात होती तो वो भी मैनेज करती ,अब उसे साड़ी और घूंघट करके रहने की आदत तो है नहीं;
तुम बेकार परेशान हुआ ना करो '

अब तो चौधरी भी परेशान होकर चौधराईन को बोले-
सुनती हो ,मोहल्ले में लोग तरह तरह की बात बनाते हैं; एक बात कहूं रमेश की मां;
क्यू ना हमलोग गांव चले,अम्मा भी कबसे बोल रही हैं!
ये सुन चौधराईन को मानो सांप सूंघ गया,
फिर गैस के चूल्हे से मिट्टी के चूल्हे पे जाऊ और मिट्टी के घर में रहूं;पर घर पे भी बहू ने टोकना छोड़ रखा था,आस पास के लोगों को जवाब देना भी मुश्किल हो चला था;
मन मसोस कर चौधराईन अपने पैतृक गांव की तैयारी में जुट गई!🙏

© MJMishra